6 villages in darkness for 12 days; Engineer of Jarida Sub-center also missing

  • जिले में उद्योग नदारद, बढी बेरोजगारी, नही रूक रही किसान आत्महत्याएं

Loading

यवतमाल. राज्य को दो मुख्यमंत्री देनेवाले यवतमाल जिला मानव विकास निर्देशांक में पिछडा है. दुर्भाग्यवश यहा किसान आत्महत्याओं का जिला ऐसी पहचान यवतमाल की बनी है. आदिवासी और बंजारा बहुल जिले में उद्योग नदारद है. जिससे बेरोजगारी की बडी समस्या  यहा है. यहा के युवकों भविष्य अंधःकारमय है. आज भारत को स्वतंत्रता प्राप्त होकर 73 वर्ष हुए है, लेकिन जनसमस्या जस की तस है. यवतमाल जिले के 16 तहसीलों में किसान  पुत्र और युवक रोजगार के अवसर की खोज कर रहे है, लेकिन जिले में स्थित एमआइडीसी की जगह पर बोर्ड बेरोजगारों को चिढा रहा है. उद्योग व्यवसाय में बरकत आए इसलिए यवतमाल समेत अन्य तहसील में सरकार ने एमआइडीसी द्वारा राखीव क्षेत्र तयार किया. लेकिर  राजनैतिक  ईच्छाशक्ति के अभाव में यहा उद्योग नही उभर पाया.

यवतमाल से 6 किमी दुरी पर लोहारा में यवतमाल एमआइडीसी है. 660 हेक्टेयर पर विस्तारीत इस क्षेत्र में आज केवल रेमंड का डेनीम उद्योग शुरू है. अन्य उद्योग जैसे तैसे चल रहे है. तो  ओरिएंट सिंटेक्स और हिंदुस्तान लिव्हर समेत कई उद्योग बंद है. यवतमाल की मिट्टी में कपास तयार करने की क्षमता है. कपास का मायका, सफेद सोने का जिला ऐसी इसकी पहचान है. लेकिन इस जिले में कपास पर प्रक्रिया करनेवाला एक भी एक भी उद्योग नही.

जिले के नेताओं की उदासीनता, सरकार की अनदेखी, अधिकारीयों का निरुत्साह इससे कपास उत्पादक किसान, उनके बच्चे और युवा रोजगार नही होने से परेशान है. यवतमाल जिले में साडे चार लाख हेक्टेयर पर कपास की बुआई होती है. लेकिन कपास यवतमाल जिले में तो धागा निर्मिती अन्य जिले में ऐसी स्थिती यहा है. सहकारी तत्व पर राजनेताओं  ने धागामिल निर्माण की. लेकिन यहा की एक भी धागामिल में एक भी बंडल धागा तयार नही होता. यवतमाल जिले के लिए आजतक कई सीएम ने टेक्स्टाईल पार्क की घोषणा की. लेकिन यहा टेक्स्टाईल पार्क और कॉटन सेझ शुरू नही हुआ. 

नही है बुनियादी सुविधा
राज्य में कुल कपास उत्पादन के 27 फीसदी कपास यवतमाल जिले में होता है. जिससे कपास पर आधारीत उद्योग यहा पनप सकते है. लेकिन यहा बुनियादी सुविधा नही होने से विवेशकों में निरुत्साह है.  इसके अलावा आर्णी, नेर, पांढरकवडा इस तहसील की जगह एमआइडीसी मंजूर है लेकिन जगह हस्तांतरित नही होने से उद्योग शुरू नही हुए.

पीएम का ‘फाईव्ह एफ’ फार्मुला यहा बेअसर
राज्य के कपास उत्पादक किसानों का सर्वांगीण विकास हो इसलिए पीएम नरेंद्र मोदी ने फार्म, फायबर, फॅब्रिक, फॅशन, फॉरेन ऐसी ‘फाईव्ह एफ’ का विकास मंत्र दिया था. लेकिन भाजपा सरकार की तीन वर्ष होने के बाद भी यह ‘फाईव्ह एफ’ का असर नही दिखा. इसके लिए उचि प्रयास हो ऐसी उम्मीद किसानों को है. बंद उद्योगों को नवसंजिवनी देना जरूरी है. साथही स्थानिय बेरोजगार उद्योजकता की ओर कैसे आकर्षित होगे इसओर भी सरकार ने ध्यान देने की जरूरत है.