शितला माता मंदिर में ‘नो-एंट्री’, मायुस हुए श्रध्दालु

  • मंदिर के बाहर जलकलश की व्यवस्था
  • हिन्दुस्थानी दुर्गा मंडल का सामाजिक उपक्रमों पर जोर

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यवतमाल. संपूर्ण राज्य में परिचित यवतमाल का प्रख्यात नवरात्रोत्सव शनिवार से प्रारंभ हुआ. कोरोना की वजह से मंदिर ताला बंद है. जिससे स्थानिय साप्ताहिक बाजार के शितला माता को जल अर्पण करने की परंपरा खंडीत ना हो इसलिए मंडल द्वारा विविध पद्धति से व्यवस्था की गई है. मंदिर में प्रवेश बंदी होने से श्रध्दालु मायुस हो रहे है. 

शहर के साप्ताहिक बाजार परिसर में गोल बंगला के रूप में परिचित , नागरिकों का आराध्य दैवत शितला माता मंदीर और हिन्दुस्तानी दुर्गादेवी उत्सव मंडल का यह 82 वां वर्ष है. इसबार  कोरोना का साया होने से मंदिर ताला बंद है.  देवी के दर्शन के लिए श्रध्दालुओं की रोज कतार लगती है. कोरोना की वजह से मंदिर के  गेट को ताला लगाया है. यहा पुलिस का भी बंदोबस्त है. भीड टालने के लिए बाहर से ही  दर्शन करने की अनुमति है. साथही देवी के लिए ओटी और हार अर्पण करने के लिए प्रवेश व्दार पर व्यवस्था की गई है. 

मंदिर के बाहर रखा जल कलश  

शितला माता मंदिर जागृत देवस्थान के रूप में परिचित है. शहर समेत आसपडौस के क्षेत्र की महिलाए शितला माता को जल अर्पण करने के लिए मंदिर में आती है. कोरोना के साए में भी यह परंपरा बनी रहे इसलिए मंदिर के बाहर जल कलश रखा गया है. इस जलकलश में डाला हुआ जल शितला माता मुर्ती तक जाएगा. 

शुरू किया युटयूक चैनल

देवी के दर्शन के लिए सोशल मीडिया पर  देवी के नाम से यूट्यूब चॅनल शुरू किया है. इस पर सुबह,श्याम की आरती प्रसारीत होगी. मंडल द्वारा इसबार सामाजिक उपक्रम चलाए जाएगे. उत्सव के लिए अध्यक्ष आनंद त्रिवेदी, उपाध्यक्ष अनिल हिंगे, सचिव अभय मिश्रा तथा हिन्दुस्तानी दुर्गादेवी उत्सव मंडल के पदाधिकारी प्रयास कर रहे है. 

नही होगा रावण दहन

दुर्गोत्सव मंडल द्वारा हर वर्ष रावण दहन किया जाता है. इसवर्ष कोरोना का बढता संक्रमण देख रावण दहन रद्द करने का निर्णय मंडल द्वारा लिया गया. साथही अन्नदान कार्यक्रम भी रद्द किया गया है. मंडल के कार्यकर्ता सरकारी नियमों का पालन करने के लिए प्रयास करेगे.