सरकार से फूटी कौडी ना लेकर दिव्यांग समाधान बना आत्मनिर्भर

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यवतमाल. सरकार ने दिव्यांगों के लिए बडे वायदे करके आत्मनिर्भर बनने के लिए विविध योजनाएं कार्यान्वित की है. लाकडाउन के बाद देश की खस्ताहालत देखकर प्रधानमंत्री ने फूटपाथ पर जिवननिर्भर करनेवालों 10 हजार रुपए देकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है. लेकिन सरकार से फूटी कौडी ना लेकर यवतमाल के दिव्यांग समाधान रंगारी इसमें खुद के बल पर आत्मनिर्भर बनने का सफल प्रयास किया है.

स्थानीय वैद्य नगर निवासी समाधान की पढाई कक्षा 12 वीं तक हुई है. कुछ कर गुजरने की तमन्ना लेकर हमेशा तत्पर रहता था. सरकार की तरफ से 1 हजार रुपए मानधन से परिवार का गुजारा नहीं होता, इसलिए समाधान ने खुद का व्यवसाय करने की ठान ली और इसमें उसके एक दोस्त ने सहायता की. 5 हजार रुपए देकर समाधान को व्यवसाय करने का बढावा दिया 5 हजार रुपए की लागत से समाधान ने जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में एक स्टेशनरी की छोटीसी दुकान लगाई.

व्यवसाय में कोविड-19 की वजह से मंदी आयी है. मार्केट में ग्राहकों की संख्या कम दिखाई देती है. फिर भी समाधान को रोजाना 200 रुपए आते है, उसपर ही वह समाधानी है. खुद का परिवार चलाने के लिए समाधान ने यह कदम उठाया है.

परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधे पर लेकर समाधान अपने बुजुर्ग मां, बाप का पालनपोषण करता है. घर के हालात बिकट होने के वजह से अनेक संघर्षों का सामना समाधान को करना पडा. इस पर उसने हल ढूंढकर रास्ता निकाला. दोनों पैरों से दिव्यांग समाधान ने हर नौजवान के लिए मिसाल बन गया है.

सरकार की सहायता न लेते हुए दोस्त की मदद से यह छोटासा व्यवसाय शुरू किया. उस व्यवसाय से मेरे घर का गुजारा चल रहा है. रोजाना 200 रुपए कमाकर मैं समाधानी हूं, सरकार की तरफ से एक हजार रुपए मानधन मिल रहा है, उसपर गुजारा नहीं होता. इसलिए मैने व्यवसाय करने का फैसला किया और स्पर्धा परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं.

-समाधान रंगारी, वैद्यनगर, यवतमाल.