पशु चिकित्सकों ने फिर उठाया आंदोलन का हथियार, धरना आंदोलन ने खिंचा ध्यान

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    उमरखेड . जिला परिषद सेवा में पशुधन पर्यवेक्षक, विकास अधिकारी सहित समूह-बी के लगभग 4500 कर्मचारी हैं और 2853 पशु अस्पताल संस्था के रूप में काम कर रहे हैं. इन कर्मचारियों की विभिन्न मांगें 15 साल से लंबित हैं. इसलिए 2 अगस्त से पंचायत समिति के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया गया है.

    पिछले डेढ़ माह से संगठन की विभिन्न मांगों को लेकर संगठन ने विभिन्न आंदोलन शुरू कर दिए हैं. 15 जून से टीकाकरण व सभी तरह के अहवाल बंद आंदोलन, 25 जून से राज्य के विधानसभा व विधानपरिषद सदस्यों को अपने मांगों का ज्ञापन प्रस्तूत करना एवं 16 जूलाई से कानून के अनुसार काम बंद आंदोलन संगठन किए है.

    हालांकि, कार ने अभी तक कोई निर्देश नहीं दिया है, इसलिए राज्य में डिप्लोमा प्रमाण पत्र रखने वाले पशु चिकित्सकों की मांग के खिलाफ 2 अगस्त से अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया गया है.

    भारतीय पशु चिकित्सक परिषद अधिनियम, 1984 के सभी प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने या प्रमानपत्र, डिप्लोमा धारकों को स्वतंत्र रूप से पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने और पशुधन पर्यवेक्षकों के रिक्त पदों को तुरंत भरने की अनुमति देने के लिए आज से अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया गया है. चूंकि तहसील के सभी पशु चिकित्सा अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल में शामिल हो गए हैं, इसलिए पशुपालकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.