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उमरखेड. विश्व महामारी कोविड-19 कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए पिछले मार्च 2020 से सरकार द्वारा लाकडाउन की घोषणा के बाद बंद किए गए स्कूल और कालेज फिर से नहीं खुल पाए हैं क्योंकि आधे स्कूल का सत्र समाप्त हो रहा है. परिणामस्वरूप, छात्रों का शैक्षणिक जीवन बदल रहा है.

हालांकि स्कूलों ने वास्तविक स्कूली शिक्षा के विकल्प के रूप में मोबाइल पर ऑनलाइन अध्ययन विधियों की शुरुआत की है, लेकिन सामान्य परिवारों के कई छात्रों के पास मोबाइल नहीं है, नेटवर्क भी नहीं है, इसलिए ऑनलाइन अध्ययन में भी कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. यह भी आशंका है कि मोबाइल फोन के निरंतर उपयोग के कारण छात्रों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ेगा.

कोरोना के प्रसार को रोकने के सरकारी आदेश के अनुसार मार्च से स्कूल बंद कर दिया गया है. छात्र अभी तक स्कूल नहीं जा पाए हैं. मार्च में जैसेतैसे परीक्षाएं निपटाकर, आधे में छोडकर तो बिना परीक्षा के नतीजे घोषित करने पडे थे. साल 2020-21 वार्षिक आधा शैक्षणिक सत्र हो गया है, लेकिन अबतक स्कूल और कालेज खोलने पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. कुछ स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी हैं, इसलिए मोबाइल छात्रों के लिए एक ब्लकबोर्ड बन गया है.

छात्रों को उस पर जैसेतैसे अध्ययन करते देखा जाता है. यदि ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क उपलब्ध नहीं है, तो कई गरीब छात्रों के पास मोबाइल नहीं है. परिणामस्वरूप, कई छात्र ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. यह समस्या मुख्य रूप से अभिभावकों को परेशान कर रही है.

छात्रों की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए कक्षा में बैठक अध्ययन करना, अपने साथियों के साथ खेल खेलना, मैदानी खेल खेलना इससे इस साल स्कूल में बना उत्साह कम हो गया है. परिणामस्वरूप, छात्रों का शैक्षणिक वर्ष बर्बाद हो रहा है.