नयी दिल्ली. यूँ तो जीडी बिरला के पोते आदित्य विक्रम बिरला (Aditya Vikram Birla) भारत के एक प्रसिद्द उद्योगपति (Industrialist) थे| लेकिन उनका नाम भारत के सबसे प्रेरणादायक और सफल उद्योगपतियों में भी गिना जाता है। जहाँ एक तरफ उनके नवीन विचारों ने दूसरे देशों के साथ व्यापार का विस्तार करने में मदद की और भारतीय कॉर्पोरेट परिदृश्य पर एक अमिट छाप भी छोड़ी। वहीं वे बहुराष्ट्रीय साम्राज्य स्थापित करने वाले कुछ भारतीय उद्योगपतियों में से एक माने गए| आज इन महान विचारक, बुद्धिजीवी और सफल उद्योगपति की आज जयंती है।
ऐसा था उनका प्रारंभिक जीवन
जानकारी के मुताबिक आदित्य विक्रम बिरला का जन्म 14 नवंबर 1943 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में उद्योगपति बसंत कुमार बिड़ला और सरला बिड़ला के घर हुआ था। वे उद्योगपति जीडी बिरला के पोते भी थे| जीडी बिरला प्रसिद्द ‘बिरला समूह’ के संस्थापक थे| उनका महात्मा गाँधी से मधुर सम्बन्ध था और उन्होंने ही देश की प्रसिद्द ‘अम्बेसडर कार’ बनाकर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाया था| आदित्य ने कोलकाता से अपनी औपचारिक शिक्षा पूरी की और फिर सेंट जेवियर्स कॉलेज से विज्ञान में स्नातक किया। इसके बाद वे ‘मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ से कैमिकल इंजीनियरिंग में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अमेरिका पहुँच गए।
बेहतरीन कैरियर
फिर ‘मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ से कैमिकल इंजीनियरिंग करने के बाद आदित्य वापस भारत लौटे और अपने खानदानी व्यवसाय में शामिल हो गए| लेकिन वे सिर्फ इतने से ही संतुष्ट कहाँ होने वाले थे। इसके बाद आदित्य ने ‘ईस्टर्न एक्सप्रेस मिल्स’ से कपड़े का व्यापार शुरू किया जो कोलकाता में बहुत ज्यादा सफल रहा| उनकी अगली सबसे बड़ी चुनती थी ‘आयल सेक्टर’ में बिड़ला ग्रुप का व्यापक विस्तार और हर बार की भांति इस बार भी आदित्य सफल माने गए| इसके बाद के अगले कुछ सालों में आदित्य ने दक्षिण पूर्व एशिया में कई कंपनियां और संयुक्त-उपक्रम प्रारंभ किये| इन सब गतिविधियों ने बिड़ला समूह को जल्द ही एक ब्लू चिप कंपनी बना दिया| इसके साथ ही बिड़ला समूह अब भारत के शीर्ष उद्योग घरानों में भी शामिल हो गया और खुद आदित्य बिड़ला की गिनती बड़े उद्योगपतियों में भी की जाने लगी|
भारत के विकास में ऐसे दिया योगदान
गौरतलब है कि यह आदित्य बिरला के गतिशील और प्रभावशाली नेतृत्व का ही दूरगामी परिणाम था कि बिड़ला समूह महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति तेज़ी के साथ दर्ज कराने में सफल रहा| इतना ही नहीं जब वैश्वीकरण की संकल्पना भारत से कोसों दूर थी। उस समय अकेले आदित्य बिड़ला ने दूसरे देशों में अपने व्यवसाय को सफलता पूर्वक फैलाया| उनके नेतृत्व में बिड़ला समूह की कंपनिया कपड़ा, सीमेंट, एल्युमीनियम, रसायन, उर्वरक, फाइबर, वित्तीय सेवाओं, स्पंज आयरन, सॉफ्टवेयर, और पेट्रो रिफाइनरी जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अपार लाभ आर्जित कर रही थीं| इसके साथ ही भारत में वे तेजी से रोजगार का सृजन कर रहे थे। आदित्य को देश के कमोडिटी व्यापार को बढ़ाने और सुधारने का भी श्रेय जाता है|
हालाँकि देखा जाए तो उनके समूह के कंपनियों में लगभग 70000 कर्मचारी थे परन्तु वास्तव में वे 2 लाख से ज्यादा लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रहे थे| भारत में सबसे बड़ा औद्योगिक साम्राज्य को नई उंचाईयों तक पहुँचाने के अलावा, आदित्य बिड़ला ने भारतीय रिजर्व बैंक, एयर इंडिया और भारत फंड जैसी बड़ी सरकारी कंपनियों के निदेशक के रूप में भी कार्य किया। वह एलके झा के नेतृत्व में जापान के लिए आर्थिक और व्यापार मिशन के एक सदस्य भी रहे थे|
यूँ था उनका व्यक्तिगत जीवन
जानकारी के मुताबिक आदित्य विक्रम बिरला का विवाह राजश्री से हुआ था। इस खुबसूरत दंपती के दो बच्चे थे, बेटी वासवदत्ता और बेटे कुमार मंगलम जो कि आदित्य बिड़ला समूह के वर्तमान अध्यक्ष हैं|
कैंसर ने छीना जीवन
साल 1993 में आदित्य बिड़ला को प्रोस्टेट कैंसर का पता चला जिसके बाद उन्होंने बिड़ला ग्रुप की सभी जिम्मेदारियों को अपनी पत्नी और बेटे के हाथों में हस्तांतरित कर दिया। फिर इलाज के लिए उन्हें बाल्टीमोर में जॉन हॉपकिंस अस्पताल, मैरीलैंड, अमेरिका, में भर्ती कराया। मगर इसके चार महीने के संघर्ष के बाद 51 साल की उम्र में, 1 अक्टूबर, 1995 को उनका निधन हो गया| फिर बिड़ला समूह का सारा दारोमदार उनके युवा बेटे कुमार मंगलम के ऊपर आ गया और आज कुमार मंगलम बिरला के सधे हुए हाथों में बिरला ग्रुप ‘दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की’ कर रहा है, जिसकी नींव तो आदित्य विक्रम बिरला ही डाल गए थे|