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    कोच्चि: भारत (India) सरकार के लिए कथित रूप से जासूसी (Spying) करने के मामले में संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) (यूएई) (UAE) में 2015 से 10 साल कारावास (Jail) की सजा भुगत रहे शिहानी मीरा साहिब जमाल मोहम्मद की मां शाहूबानाथ बीबी को अपने बेटे से मिलने के लिए 2025 तक इंतजार करना पड़ सकता है।

    दरअसल, केंद्र सरकार ने केरल उच्च न्यायालय से कहा कि वहां उसके दूतावास ने इस मामले में हर संभव कोशिश कर ली है। केंद्र ने अदालत को बताया कि मोहम्मद को अगस्त 2015 में 10 साल कारावास की सजा सुनाई गई थी और अबू धाबी संघीय अपीलीय अदालत ने इस सजा को बरकरार रखा था। मोहम्मद को इस सजा की अवधि पूरी होने के बाद सितंबर 2025 में रिहा किया जाएगा और इसके बाद उसे भारत भेजा जाएगा।

    केंद्र ने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय दूतावास ने स्थानीय प्राधिकारियों से सहानुभूति के आधार पर मामले पर पुनर्विचार करने और मोहम्मद की सजा माफ करने का आग्रह किया था, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला होने के कारण उन्होंने कोई राहत देने से इनकार कर दिया। केंद्र सरकार ने अदालत को यह भी बताया है कि मोहम्मद की ओर से दया याचिका दायर करने के लिए दूतावास को भेजे गए ईमेल संबंधित स्थानीय अधिकारियों को भेज दिए गए हैं। शाहूबानाथ बीवी ने वकील जोस अब्राहम के जरिये याचिका दायर कर अपने बेटे को कानूनी मदद मुहैया कराए जाने का आग्रह किया था। इसके जवाब में केंद्र ने अदालत में प्रतिवेदन दाखिल किया। महिला ने दावा किया है कि उसके बेटे को ‘‘गंभीर यातना और उत्पीड़न” का शिकार होना पड़ा है और उसे वहां के भारतीय दूतावास या केंद्र सरकार से किसी भी तरह का समर्थन नहीं मिला।

    केंद्र ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि जब दूतावास को 2015 में मोहम्मद की गिरफ्तारी के बारे में पता चला था, तब उसने इस मामले की जांच के लिए यूएई के विदेश मंत्रालय के साथ सितंबर 2015 में एक आधिकारिक संवाद किया था और मोहम्मद की गिरफ्तारी का कारण जानना चाहा था। दूतावास ने मोहम्मद को राजनयिक पहुंच मुहैया कराए जाने का भी अनुरोध किया था।

    केंद्र ने कहा कि इस संवाद का कोई उत्तर नहीं मिलने के बाद, दूतावास ने जनवरी 2016 में फिर से संवाद किया था। मार्च 2017 में मोहम्मद को राजनयिक पहुंच मुहैया कराई गई और एक अधिकारी ने जेल में उससे मुलाकात की थी। केंद्र ने उक्त तथ्यों के मद्देनजर याचिका का निपटारा करने का आग्रह किया। इस मामले पर आज सुनवाई की गई, लेकिन यूएई दूतावास को यहां पक्षकार नहीं बनाया गया था, इसलिए अदालत ने इस मामले को नौ दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

    महिला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि मामले में यूएई की अदालतों द्वारा पारित निर्णयों के अनुसार, उनका बेटा ‘‘यूएई में भारतीय दूतावास के अधिकारियों के लिए काम कर रहा था।” महिला ने आरोप लगाया है कि कि उसके बेटे को वहां की अदालतों में अपना बचाव करने के लिए उचित कानूनी सहायता भी नहीं दी गई।