Big relief to former Mumbai Police Commissioner Parambir Singh, Supreme Court says interim protection from arrest will continue
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    नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से मुंबई (Mumbai) के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह (Former Mumbai Police Commissioner Param Bir Singh) को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि, परमबीर सिंह को गिरफ्तारी से दी गई अंतरिम सुरक्षा जारी रहेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि, महाराष्ट्र पुलिस उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर अपनी जांच जारी रख सकती है लेकिन उन मामलों में अदालत में कोई चालान दायर नहीं किया जाएगा।

    एएनआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से सिंह की याचिका पर अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अब मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी 2022 को होगी। इस मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि, उसे महाराष्ट्र पुलिस द्वारा सिंह के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच अपने हाथ में लेने में कोई समस्या नहीं है।

    दरअसल इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद परमबीर सिंह गुरुवार को मुंबई क्राइम ब्रांच पहुंचे थे। अधिकारियों ने रंगदारी के एक मामले में उनका बयान दर्ज किया। दरअसल कोर्ट (Court) ने जबरन वसूली के एक मामले (Extortion Case) में आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह (Param Bir Singh) को भगोड़ा घोषित किया था। बाद में कोर्ट के फैसले के खिलाफ पूर्व कमिश्नर ने अपील की थी। सिंह के खिलाफ मुंबई और पड़ोसी ठाणे जिले के कई पुलिस थानों में उगाही के मामले दर्ज हैं।

    मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ दर्ज कथित वसूली के एक मामले में शनिवार को चार्जशीट (Chargesheet) दाखिल कर दी गई है। सिंह के खिलाफ दर्ज मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच (Mumbai Crime Branch) की यूनिट 11 (Crime Branch Unit 11) इस मामले में जांच कर रही थी।

    जबरन वसूली के कई मामलों का सामना कर रहे सिंह के खिलाफ पिछले दिनों मुंबई क्राइम ब्रांच ने पहला आरोप पत्र दाखिल किया था। शिकायत के अनुसार आरोपी ने दो बार और रेस्तरां पर छापेमारी नहीं करने के लिए उससे नौ लाख रुपये की उगाही की और अपने लिए लगभग 2.92 लाख रुपये के दो स्मार्टफोन खरीदने के लिए मजबूर किया था। शिकायतकर्ता के अनुसार वह साझेदारी में इन प्रतिष्ठानों को चलाता था। पुलिस ने पहले बताया था कि यह घटना जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच हुई थी। इसके बाद छह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 385, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था।