येवला: येवला (Yeola) के लोगों को पांच दिन में एक बार जलापूर्ति (Water Supply) की जा रही है। बताया जा रहा है कि जलाशयों में भंडारण कम होने के कारण नगरपालिका ने पांच दिन बाद जलापूर्ति करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में भंडारण टैंक में 1.75 मीटर की ऊंचाई तक पानी है। अल नीनो के प्रभाव के कारण इस वर्ष मानसून देरी से आएगा, इसलिए नगरपालिका ने एहतियातन कम जलापूर्ति करने का निर्णय लिया है। नागरिकों को 15 जून तक शहर में पानी की आपूर्ति हो सके, इसलिए अभी से पानी कटौती (Water Cut) करने का निर्णय नगरपालिका प्रशासन ने लिया है।
मुख्याधिकारी नागेंद्र मुतकेकर ने लोगों से अपील की है कि वे पानी का उपयोग बहुत ही सोच समझ कर करें। येवला शहर के लिए लाखों रुपए की योजनाएं लागू की गईं, लेकिन पानी की कमी को दूर करने के लिए कुछ नहीं किया गया। कई वर्ष बीत गए, लेकिन नगरपालिका दो दिन बाद भी जलापूर्ति नहीं कर पा रही है। 24 घंटे जलापूर्ति करना तो बहुत दूर की बात है। शुद्ध जलापूर्ति में से ‘शुद्ध’ शब्द भी नगर निगम के शब्दकोश से हटा दिया गया है। अब समय आ गया है कि नागरिक कहें कि हर दिन जलापूर्ति की जाए।
रोजाना जलापूर्ति न होने के लिए पुरानी जल वितरण प्रणाली जिम्मेदार
2004 में जब पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल ने तहसील की कमान संभाली थी, तब उम्मीद की गई थी कि कम से कम हर दिन साफ पानी उपलब्ध होगा। सिंचाई विभाग पालखेड लेफ्ट कैनाल डायवर्सन ने येवला शहर के भंडारण टैंक को पूरी क्षमता से भर दिया है, लेकिन नगरपालिका शहरवासियों को प्रतिदिन पानी की आपूर्ति नहीं कर पा रही है। नगरपालिका हर 5 दिन में शहर में पानी देने की अपील की है। स्थानीय नागरिक भी इस अपील को विनम्रता से स्वीकार करते हैं, लेकिन क्या नगरपालिका इस बात की तह तक जाएगी कि आखिर ऐसी स्थिति हमेशा के लिए क्यों बनी हुई है? तालाबों में पानी की अधिकता के बावजूद कोई उपयोग नहीं हो रहा हैं। शहरवासियों को रोजाना जलापूर्ति न होने के लिए पुरानी जल वितरण प्रणाली जिम्मेदार है। दैनिक जलापूर्ति तभी संभव है, जब शहर में समानांतर पाइपलाइन बिछाई जाए।
येवला शहर को प्रतिदिन औसतन 50 लाख लीटर पानी की आवश्यकता
नगरपालिका और शासक समय-समय पर तालाब से पानी की चोरी नहीं रोक पाए हैं। भंडारण टैंक से सटे कुंओं से पानी की अवैध निकासी और अत्यधिक बोझ वाली जल वितरण प्रणाली येवला के लोगों की प्यास को लगातार बढ़ा रही है। येवला शहर को प्रतिदिन औसतन 50 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस गणना के अनुसार, यदि भंडारण तालाब को उसकी पूर्ण क्षमता तक भर दिया जाए और जल रिसाव और वाष्पीकरण को ध्यान में रखते हुए भी 55 से 60 दिनों तक वह जलापूर्ति का सकता है। अब केवल 1.75 मीटर जल भण्डारण शेष रह गया है।
कुएं से कनेक्शन अस्थायी रूप से बंद करें
विद्युत विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं कि पानी की कमी की अवधि में भंडारण टंकी के नीचे बने कुएं से कनेक्शन अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाए। यदि पानी की अवैध निकासी बंद कर दी जाए तो कम से कम रहिवासियों को पानी की भारी किल्लत महसूस नहीं होगी। आस-पास के क्षेत्र में पानी की निकासी व बर्बादी को रोकने के लिए नगरपालिका प्रशासन को ठोस कार्रवाई करनी होगी। शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भंडारण तालाबों के पास बिजली आपूर्ति बाधित होने का दिखावा नहीं होना चाहिए। इसका ठोस उपाय करना बहुत जरूरी है।
पानी चोरी को रोकना बहुत जरूरी
भंडारण तालाबों से सटे कुंओं से हो रही पानी चोरी को रोकना बहुत जरूरी है। मुफ्त या सरकारी जलापूर्ति के नाम पर पानी का कारोबार नहीं होना चाहिए। पानी की बेहिसाब अवैध निकासी के कारण पानी की किल्लत हुई है। अगर सही नियोजन किया जाए तो पानी की किल्लत नहीं महसूस होगी। औसतन चार से पांच दिन में पानी की आपूर्ति का मतलब है कि नगरपालिका साल में 365 दिनों में से 75 से 90 दिन ही पानी की आपूर्ति करती है और पूरे वर्ष का शुल्क वसूलती है।
जलाशय में केवल 1.75 मीटर पानी बचा है। नगरपालिका ने अब शहर में हर पांच दिन में पानी देने का निर्णय लिया है। शहर को प्रतिदिन पीने के लिए 50 लाख लीटर पानी की जरूरत है। 15 जून तक पानी का सावधानी से उपयोग करना होगा। शहर में नल के बाद पानी बर्बाद न हो, इसके लिए नागरिकों को जागरूक करना भी जरूरी है।
-नागेंद्र मुतकेकर, मुख्याधिकारी, नगरपालिका
भंडारण टैंक से सटे लगभग 200 कुंओं से बड़ी मात्रा में पानी निकाला जा रहा है। पानी की कमी का मुख्य कारण अवैध कुएं हैं। इस मुद्दे पर सभी शहरवासियों को एक साथ आकर आवाज बुलंद करनी चाहिए।
-अमोल गायकवाड़, निवासी, येवला