नवभारत न्यूज नेटवर्क
मुंबई: मुंबई सहित राज्य में पगड़ी सिस्टम पर रह रहे किराएदारों और घर मालिकों के बीच टकराव बढ़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में फैसला घर मालिकों के पक्ष में जाने की संभावना जताते हुए किराएदारों ने राज्य सरकार से गुहार लगाई है। यदि घर मालिकों के पक्ष में फैसला गया तो वे किरायेदारों को घर से बेदखल कर देंगे। अनुरोध किया गया है इस मुकदमे में किराएदारों का पक्ष मजबूती से रखने के लिए राज्य सरकार पहल करे।
किराएदार आंदोलन में सक्रिय रहे और सामाजिक कार्यकर्ता राघवेंद्र व्यंकटेश कौलगी ने इस मामले में किराएदारों का प्रतिनिधित्व करने के लिए उचित प्रबंध करने की मांग राज्य सरकार से की है। कौलगी के अनुसार वर्तमान लीव एंड लाइसेंस व्यवस्था पगड़ी सिस्टम से काफी अलग है। क्योंकि पगड़ी किरायेदारों के पास अनिवार्य रूप से स्वामित्व अधिकार हैं। उन दिनों सुप्रीम कोर्ट में किराएदारों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं किया गया था। यदि किराएदारों का पक्ष कमजोर पड़ता है तो न केवल मुंबई बल्कि राज्य में अनर्थ का कारण बन सकता था। हर जगह मकान मालिक किरायेदारों को घरों से बेदखल कर देंगे।
राज्य के कई शहरों पर पड़ेगा असर
कौलगी के मुताबिक इसका असर मुंबई, ठाणे, पालघर, वसई, विरार, पुणे, पेठ, नासिक, कोल्हापुर, सांगली, सतारा जैसे शहरों पर पड़ेगा। राज्य सरकार को समय रहते उचित एहतियाती कदम उठाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में किरायेदारों के प्रतिनिधित्व के लिए विशेष अनुमति लें। यह सुनिश्चित करें कि गरीब-मध्यम वर्ग के किराएदारों को किसी भी संकट का सामना न करना पड़े।
क्या है मामला
महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम 1962 से पहले मुंबई के निवासियों के पास संयुक्त रूप से जमीन का एक टुकड़ा रखने और उस पर अपना घर बनाने का विकल्प नहीं था। लोग मालिक को नकद राशि (पगड़ी) देकर घर खरीदते थे और किराया देकर घर में रहते थे। यदि किराएदार बाजार भाव से घर बेचता है तो उसे मालिक को उस राशि से 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा देना पड़ता है। 1990 के बाद मुंबई में संपत्ति की कीमतें बढ़ने लगीं तब मकान मालिकों ने बेचैन होकर 1992 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामले की सुनवाई के लिए 20 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच का गठन किया गया था।