- निजी अस्पतालों के संचालकों ने दिया जिलाधिकारी को निवेदन
अकोला. अकोला शहर तथा जिले में कोरोना महामारी का प्रकोप शुरू है. जिसके कारण नागरिकों की जान का संकट बना हुआ है. नागरिकों को राहत देने के लिए 1 जून को राज्य सरकार ने शहरों का वर्गीकरण किया है और शहर के हिसाब से अस्पतालों के लिए दरपत्रक तय किए हैं. लेकिन इस दरपत्रक के लिए अकोला के कई निजी अस्पतालों ने विरोध प्रकट किया है.
जिले के विभिन्न निजी कोरोना अस्पतालों के संचालकों का कहना है कि ऐसे समय में जब चिकित्सा देखभाल का मानक समान है, शहरवार रोगी देखभाल की दरें तय करना अस्पतालों के साथ-साथ रोगियों के साथ भी अनुचित है. इस संदर्भ में एक निवेदन निजी अस्पतालों के संचालकों ने जिलाधिकारी द्वारा राज्य सरकार को भेजा है. इस निवेदन में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा शहरवार श्रेणियां ए, बी और सी तय की गई हैं.
शहर के हिसाब से रेट तय करना गलत है. सरकार द्वारा तय की गई कैटेगरी के हिसाब से शहर में सामानों के दामों में कोई अंतर नहीं है. दवाओं और सुविधाओं की कीमतों में कोई अंतर नहीं है. इसलिए निजी अस्पताल संचालकों ने मांग की है कि अकोला को ‘सी’ श्रेणी में शामिल करने को रद्द कर ‘ए’ श्रेणी में शामिल किया जाए. निजी अस्पताल मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं प्रदान कर रहा है और अस्पताल के निदेशक की राय है कि ऐसा वर्गीकरण उचित नहीं है.
अकोला को राज्य सरकार द्वारा ‘सी’ श्रेणी में शामिल किया गया है. इसके लिए मरीजों को करीब चालीस फीसदी कम पर इलाज करना होगा. इसलिए इलाज की गुणवत्ता से समझौता होने की संभावना है. निवेदन में ऑक्सीजन सिलेंडरों की बढ़ती लागत, कर्मचारियों के लिए बेहतर वेतन, कोविड अस्पताल द्वारा कचरे के निपटान और विद्युत सेवाओं के लिए बढ़ी दरों का हवाला दिया गया.