विरोधी दलों का विरोध एक नाटक, भाजपा का आरोप

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औरंगाबाद. केन्द्र सरकार ने पारित किए किसान उत्पादन व्यापार तथा वाणिज्य विधयेक 2020 और किसान करार कीमत आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक किसानों  के हित का है. विरोधी दलों का कृषि विधेयकों को विरोध एक नाटक है. यह आरोप महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और विधायक हरिभाऊ बागडे ने यहां लगाया.

उन्होंने कहा कि अब तक कांग्रेस पार्टी गरीब जनता और किसानों पर जिंदा थी. मोदी सरकार गरीबों और किसानों के हित में निर्णय लेने से कांग्रेस पार्टी को वोट बैंक समाप्त होने का डरा सता रहा है. इससे घबराकर कांग्रेस ने कल राज्यसभा में कृषि बिल का विरोध कर जमकर हंगामा किया. बागडे के अनुसार सरकार द्वारा पारित बिल से किसान खुश है. यहीं कारण है कि कल यह बिल को पारित करने के बाद देश में कहीं भी इनका विरोध नहीं हुआ. एक सवाल के जवाब में बागडे ने देश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा एसीझेड कानून पारित करने की याद दिलाते हुए बताया कि यह कानून किसानों के विरोधी था. किसानों की  जमीन कम दाम में लेकर बड़े उद्योजकों उक्त जमीन अधिक दाम में बेचने का निर्णय तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लिया था.

कृषि उपज बाजार समिति किसानों को देगी बेहतर सुविधाएं

केन्द्र सरकार के नए कृषि बिल से कृषि उपज बाजार समितियों का अस्तित्व खत्म नहीं होगा. बल्कि, उपज बाजार समितियों को अपने कामकाज में सुधार लाना पडे़गा. आज किसानों को उपज बाजार समितियों में बेहतर सुविधाएं न मिलने से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अब उन्हें अपने कामकाज में सुधार लाना होगा. बेहतर सुविधाएं देनी होगी.

प्याज निर्यात बंदी का निर्णय भी जनता और किसानों के हितैषी

जब उनसे केन्द्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात  पर लगायी गयी पाबंदी से किसानों में फैली नाराजगी पर पूछे सवाल पर बागडे ने सरकार के उस निर्णय का भी समर्थन करते हुए कहा कि यह निर्णय जनता और किसानों के हितैषी है. प्याज निर्यात होने पर उसका खामियाजा आम जनता को भूगतना पड़ता है. पूर्व विधानसभा के अध्यक्ष ने बताया कि जब देश के कृषि मंत्री शरद पवार थे, तब भी उन्होंने प्याज के निर्यात पर पाबंदी लगायी थी. इस साल प्याज का उत्पादन कम है. कम उत्पादन होने से प्याज के दाम आसमान छू रहे है. इसलिए प्याज के निर्यात पर पाबंदी लगायी गई.

शरद पवार का वॉकआउट यानी बिल को समर्थन

बागडे ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार द्वारा राज्यसभा में वॉकआउट करने के निर्णय पर कहा कि उनका यह फैसला केन्द्र सरकार को एक तरह से समर्थन था. राज्यसभा में उपस्थित रहकर उसे विरोध करने के बजाए उन्होंने वॉकआउट कर कृषि बिल को इन डायरेक्ट समर्थन दिया है. यहीं कारण है कि महाराष्ट्र में कहीं भी पारित कृषि बिल के विरोध में किसान सड़कों पर नहीं उतरे.