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    भंडारा. कोरोना को रोकने के लिए सरकार ने कड़ा प्रतिबंध लगाया है. लेकिन लोगों की आदत है कि वह किसी सरकारी आदेश से भी बाज नहीं आते. कुछ नहीं होता और क्या फर्क पड़ता है कि मानसिकता की वजह से ही कोरोना का फैलाव थमने का नाम नहीं ले रहा है. बेवजह बाहर निकलने वाले इन लोगों को सबक सिखाने एवं घर वापस भेजने का महत्वपूर्ण काम पुलिसकर्मी कर रहे हैं. अलबत्ता वे अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, यह आम इंसान की सोच हो सकती है. लेकिन तपती धूप में पूरा दिन बिताने के साथ ही नाकाबंदी में कई बार उनका सामना पाजिटिव पेशेंट से भी होता है. खतरे से अंजान पुलिसकर्मियों के प्रति समाज को संवेदनशील एवं कृतज्ञ होने की आवश्यकता है.

    कोरोना पर अजेय है पुलिस बल

    पुलिसकर्मी भी इंसान ही है, उन्हें भी कोरोना से  उतना ही खतरा है, जितना किसी आम इंसान को. यह बात पुलिसकर्मी भी जानते हैं. इसके बावजूद  जान हथेली पर रख अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. लोगों को कभी प्यार तो कभी डांट कर समझा रहे हैं.   कोरोना रोकने में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में पूरा पुलिस बल काम कर रहा हैं.  सूत्रों के अनुसार जिले में अब तक 334 पुलिस कर्मचारी कोरोना संक्रमित हुए. इसमें से 214 पुलिसकर्मियों ने कोरोना पर सफलतापूर्वक जीत दर्ज की. वर्तमान में 117 पुलिसकर्मी एक्टिव पेशेंट है. 4 पुलिसकर्मी अस्पताल में उपचार ले रहे हैं. भंडारा जिले में 34 पुलिस अधिकारियों को भी कोरोना की बाधा हुई. इसमें से 27 ने  कोरोना को पराजित किया. जबकि 7 अधिकारी इस समय होम कोरंटाइन में है.  पिछले वर्ष कोरोना की  पहली लहर में 5 पुलिसकर्मियों को मौत का सामना करना पड़ा था. 

    जाधव व भारती रख रहे हैं पुलिस दल के सेहत का ध्यान

    अब तक अपराधियों से दो-दो हाथ करते पुलिस दल को पिछले साल से कोरोना से भी दो दो हाथ करने पड़ रहा है. कोरोना से पुलिस दल सुरक्षित रहे. पुलिसकर्मियों की सेहत एवं तंदुरुस्ती की ओर भंडारा पुलिस विभाग विशेष ध्यान दे रहा है.  जिला पुलिस अधीक्षक वसंत यादव एवं अपर पुलिस अधीक्षक अनिकेत भारती के मार्गदर्शन में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया गया. पहला टीका लेने वाले कर्मचारी एवं अधिकारियों की संख्या 92.86% है. जबकि दूसरा डोज लेने वाले अधिकारियों की संख्या 82% है. शेष कर्मचारी एवं अधिकारी विविध कारणों की वजह से टिका नहीं ले सके. सूत्रों ने बताया कि उनका भी टीकाकरण शीघ्र कराया जाएगा.

    डांट फटकार नहीं सहायता भी

    ऐसे ढेरों उदाहरण है, जब पुलिसकर्मियों की जरूरतमंदों की सहायता की है. मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने का भी काम किया है. बाहरगांव के आए मरीजों के रिश्तेदार परेशानी में होते हैं. उन्हें एटीएम, भोजनालय का पता एवं अन्य जानकारी भी पुलिसकर्मी ही देते हैं.