- कब गुंजेंगी किलकारियां
भंडारा. शिशु केयर यूनिट को मां की कृत्रिम गोद कहा जाता है. जहां उन नवजात शिशुओं की ध्यान रखा जाता है , जिन्हे विशेष परवरिश आवश्यक है. भंडारा जिला अस्पताल के शिशु केयर यूनिट में किसी समय शिशुओं की किलकारियां गूंजती थी. 9 जनवरी के अग्निकांड में 10 शिशुओं की अकाल मृत्यु हुई. उसके बाद से शिशु केयर यूनिट की भयावहता बदली नहीं है.
दीवार एवं छत पर चढी धुंए की काली परतें डराती है. इस शिशु केयर यूनिट के पुनर्निर्माण की घोषणा सरकार ने की. लेकिन लालफिताशाही की वजह से यूनिट पुनर्निर्माण नहीं हुआ. नतीजन नवजात शिशुओं को वैकल्पिक शिशु केयर यूनिट में रखा जा रहा है. वहां सीमित उपकरण है, जिससे गरीब माता पिता अपने नन्हे शिशुओं को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करते है. लेकिन अधिकतर मामले में रेफर टू नागपुर की परंपरा निभाई जा रही है.
9 जनवरी की काली घटना के बाद दर्जनों नेताओं ने अस्पताल में अपने पैरों की धूल झाडी. जांच एवं सहायता का आश्वासन, सांत्वना के साथ अत्याधुनिक शिशु केयर यूनिट निर्माण का वादा किया. महीना बित चुका है. शिशु केयर यूनिट पुनर्निर्माण के संबंध में कागज आगे नहीं बढ सके है.
एनएनसीयु का आंखों देखा हाल
अग्निकांड के डेढ माह बाद भी एनएनसीयु सेंटर के हालत नहीं बदले है. कक्ष का दरवाज़े की कुंडी लगी हुई है. कक्ष के प्रवेश करने पर दीवार एवं छत पर चढी काली परत उस काली रात की भयावहता को याद दिलाती है. मां की गोद की तरह जो वार्मर शिशुओं को गमर्राहट देते थे. उन वार्मर ने शिशुओं को जल भून डाला था. यूनिट में से कुछ उपकरणों को हटाया गया है. लेकिन अधिकतर साहित्य आज भी फैला हुआ है.
लोक निर्माण विभाग कार्यकारी अभियंता दिनेश नंदनवार ने बताया कि शिशु केयर यूनिट नवीनकरण के लिए प्रस्ताव प्राप्त हुआ है. यह काम फिलहाल प्रक्रिया में है. शीघ्र की निविदा जारी होगी. बिजली, स्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग के आपसी समन्वय से नूतनीकरण होगा.