मिठाई खरीदने वालों सावधान

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भंडारा (का). शारदीय नवरात्र  का शुभारंभ 17 अक्टूबर को हो गया. लॉकडाउन के दौर में अन्य दुकानों की तरह मिठाई की दुकानें बंद रही. अब जबकि लॉकडाउन को काफी हद तक शिथिल कर दिया गया. गुढ़ी पाड़वा के दिन से देश भर में शुरु की गई तालाबंदी के कारण जीवनावश्यक वस्तुओं की दुकानें छोड़कर अन्य सभी दुकानें बंद रहीं. मिठाइयों की दुकानें भी इस दौरान बंद रहीं. लेकिन शारदीय नवरात्र शुरु होने से पहले शुरु हुई मिठाई की दुकानों में खरीदारों की भीड़ बढ़ रही है. 17 से 24 अक्टूबर तक चलने वाले नवरात्र उत्सव के दौरान मिठाई की बिक्री ज्यादा हो रही है. गणेशोत्सव की तरह नवरात्र उत्सव भी सादगी से मनाने की अपील जिला प्रशासन ने लोगों से की है. नवरात्र उत्सव भले ही इस वर्ष सार्वजनिक मंडल की ओर से बहुत कम स्थानों पर आदिशक्ति मॉ जगदंबे की मूर्ति की स्थापना की गई है. चूंकि नवरात्र के मौके पर घर-घर में मॉ दुर्गा की पूजा होती है, इसलिए मां के प्रसाद के लिए मिठाइयां खरीदने वालों की संख्या भी बहुत ज्यादा होती है. नवरात्र उत्सव के बाद दीपपर्व मनाया जाएगा. इन दोनों पर्वों पर मिठाई खरीदने वालों की भीड़ उमड़ती है. मिठाई खरीदने वाले इस बात पर ध्यान बांसी तो नहीं है. मिठाई में मिलावट तो नहीं की गई है, इस पर भी ध्यान देना जरूरी है. दुकान में खरीदारों के रखी गई मिठाइयों में काजूकतली, पेड़ा की ज्यादा डिमांड रहती है, इसलिए काजूकतली और पेड़ा खरीदने वाले इस बात पर विशेष ध्यान दें कि मिठाई शुद्ध है या नहीं.

कहा जा रहा है कि इन दिनों मिठाई पर लगाया जाने वाला वर्ख चांदी का न होकर किसी दूसरी धातु का होता है. मिठाई देखने  पर लगता है कि उस पर चांदी का ही वर्ख लगा है, लेकिन य सच नहीं है. आजकल मिठाई पर जो वर्ख लगाया जा रहा है, वह वर्ख जन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने वाला है. कहा जा रहा है कि जो मिठाई विक्रेता वर्ख में चांदी की जगह किसी दूसरी धातु को उपयोग में ला रहे हैं, उनके खिलाफ अन्न तथा औषधि विभाग की ओर से कार्रवाई की जी रही है. मिठाई विक्रेता चांदी का भाव बहुत ज्यादा होने के कारण मुनाफा कमाने के लिए चांदी की जगह अल्युमिनियम के वर्ख को उपयोग में ला रहे हैं. इन लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अल्युमिनियम का वर्ख लगे मिठाइ खाने से जन स्वास्थ्य पर कितना असर पड़ता है.