bus
Representational Pic

  • ST, निजी दोनों को हो रहा घाटा

Loading

भंडारा. कोरोना के प्रतिबंध के लिए किए गए लॉकडाउन से परिवहन महामंडल की एसटी सेवा के साथ ही निजी परिवहन पर भी प्रतिबंध लग गया था. आर्थिक रूप से इन दोनों की नैया पूरी तरह से डूब चुकी है. 3 महीनों के पश्चात लॉकडाउन में ढील देने पर कुछ शर्तों के साथ लालपरी को सड़क पर दौड़ने के लिए मंजूरी दी गई. हालांकि वाहनों पर काम करनेवाले चालक, वाहक समस्या में आ गए हैं.

हो रही आर्थिक किल्लत
बसों में यात्री नहीं मिलने से एसटी महामंडल के साथ निजी बस मालिकों को भी आर्थिक किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. वाहन बंद रहने से गाड़ियों के कर्ज के हप्ते कैसे भरे, परिवार का जीवनयापन कैसे करना है इसकी चिंता उनको सता रही है. राज्य में यात्री सेवा में निजी परिवहना का बड़ा हिस्सा है. एक चरण से दूसरे चरण तक सीधे यातायात की जाती है. इसमें यात्रियों का समय एवं पैसों की भी बचत होती है. इस कारण इस सेवा को कई लोग पसंद करते हैं. 

कर्ज लेकर लिए वाहन
निजी यात्री परिवहन के व्यवसाय में कई लोगों ने कर्ज निकालकर वाहन खरीदी किए हैं. इस सेवा में मालिकों के साथ ही चालक तथा वाहकों के परिवार निर्भर रहते हैं. हालांकि मार्च महीने में कोरोना की एंट्री होने से राज्य की परिवहन सेवा बंद की गई. इस कारण निजी यातायात पर निर्भर रहनेवाले चालक, वाहक बड़े संकट में चल रहे हैं. 2 से ढाई महीनों के पश्चात राज्य परिवहन महामंडल की बसों को मंजूरी दी गई. इसमें भी कुछ नियम भी रखे गए. जिससे यात्रियों को लगा कि अब निजी सेवा को भी सरकार मंजूरी देगी. हालांकि अब 4 महीनों का कार्यकाल बीतने के बावजूद भी मंजूरी नहीं दी गई. निजी संचालकों की मांग है कि राज्य सरकार ने राज्य परिवहन महामंडल के अनुसार निजी परिवहन को भी कुछ शर्तो के साथ लागू करने की मांग की है.