Narendra Modi, Yogi Adityanath, Varanasi
डिजाइन फोटो

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-एस हनुमंत राव, वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर माह एक या दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी की यात्रा जरूर करते हैं। अपने हर दौरे में मुख्यमंत्री विकास कार्यों की समीक्षा और स्थलीय निरीक्षण भी करते हैं। नतीजतन वाराणसी के चतुर्दिक विकास साफ साफ नजर आ रहा है। अनुमान है कि मुख्यमंत्री औसतन हर 21 दिन पर काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने पहुंचते हैं। योगी आदित्यनाथ अपने पहले और दूसरे कार्यकाल के 72 महीनों में करीब 100 बार बाबा विश्वनाथ के धाम पहुंचने वाले पहले सीएम बन गये हैं। साथ ही अपने दूसरे टर्म का पहला साल पूरा करते ही योगी आदित्यनाथ 6 साल लगातार उत्तरप्रदेश की कमान संभालने वाले पहले मुख्यमंत्री बन गये थे। ये अपने आप में एक रिकार्ड है।

लेटेस्ट अपडेट यह है कि 11 दिसंबर को वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45 वें दीक्षांत समारोह में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। इसके बाद वाराणसी में 17 दिसंबर से 30 दिसंबर तक शुरू हो रहा है तमिल संगमम द्वितीय के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी काशी में रहेंगे। जाहिर है इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से बनारस वालों को अनेक परियोजनाओं की सौगात भी मिलेगी।

Narendra Modi, Yogi Adityanath, Varanasi
वाराणसी मे पीएम मोदी व सीएम योगी (फाइल फोटो)

 भाजपा की डबल इंजन सरकार के शासन में पिछले 9 वर्षों में काशी में जो विकास के काम हुए हैं, उससे यह साबित होता है कि देश की सांस्कृतिक राजधानी का कायाकल्प हो रहा है। इसका श्रेय काफी हद तक पीएम मोदी को जाता है। चूंकि संसदीय सीट देश के प्रधानमंत्री की है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी खुद दिलचस्पी दिखाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पिछले दिनों योगी आदित्यनाथ ने संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में जनसभा को संबोधित करते हुए बताया था कि वाराणसी के विकास के लिए अब तक करीब 35 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं दी गई हैं। कुछ पर काम पूरा हो चुका है। कुछ पर काम जारी है और कुछ काम अभी पाइपालाइन में है। मुख्यमंत्री ने बताया था कि “पीएम जब भी काशी आते हैं, हमेशा सौगात लेकर आते हैं। योगी आदित्यनाथ ने बीते मार्च में ही दूसरी पारी का पहला साल पूरा किया था। इस एक साल में ही योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी को 12,584 करोड़ की लागत से 413 विकास उन्मुख परियोजनायों की सौगात दी। इसमें से लगभग 742.39 करोड़ की लागत वाली 49 परियोजनाओं का लोकार्पण भी हो चुका है। जबकि 11,842 करोड़ रुपये की 364 विकास परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। ध्यातव्य है कि ये सिर्फ एक साल का आंकड़ा है।

  नए शहरी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए वाराणसी में प्रशासन ने छह सेक्टोरल डेवलपमेंट इंटीग्रेटेड टाउनशिप की योजना भी बनाई है। इसी में से एक वैदिक सिटी को आवास विकास परिषद ने हाल ही में मंजूरी दे दी। आवास विकास परिषद की गुरुवार को लखनऊ में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी। परिषद के एसई केसी श्रीवास्तव ने बताया कि इस आवासीय योजना में स्कूल, कालेज, अस्पताल, बाजार, माल आदि की सुविधा होगी। टाउननशिप में सड़क, जल निकासी, सीवरेज और हरियाली का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए 620 खसरों को चिह्नित किया गया है। पूर्व में एक अनुमान के मुताबिक इस योजना पर करीब 1200 करोड़ रुपये व्यय होगा। आवास विकास परिषद ने छह में एक योजना रिंग रोड पर स्थित कोइराजपुर के निकट हरहुआ के आसपास के गांवों में बनाई जाने वाली वर्ल्ड सिटी एक्सपो को पहले ही मंजूरी दे दी है। 245 एकड़ में बनने वाली वर्ल्ड सिटी एक्सपो की अधिसूचना के बाद किसानों से जमीन लेने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। इसके अलावा कुछ अन्य प्रमुख प्रस्तावित आवासीय योजनाएं हैं, खेवसीपुर के निकट रिंग रोड फेज-2 के निकट वरुणा विहार, कोइराजपुर के निकट हरहुआ में वर्ल्ड सिटी एक्सपो, ऐढ़े के निकट लालपुर में मेडिसिटी, गंजारी के निकट अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम स्पोर्ट सिटी, मढ़नी के निकट रिंग रोड फेज-3 विद्या निकेतन आदि।

 इसी क्रम में वाराणसी में आस्था, पर्यटन और रोजगार के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का नमो घाट (खिड़किया घाट) बन कर तैयार है। नमो घाट देश में जल, थल और नभ परिवहन की सेवा देने वाला देश का पहला घाट होगा। डेढ़ किलोमीटर के घाट में पर्यटक एक ओर हेलिकॉप्टर से उड़ान भर सकेंगे तो पास में ही नाव या क्रूज पर सवार हो सकेंगे। यह देश का एकमात्र घाट है, जहां कार, बस, ट्रेन, नाव, क्रूज और हेलीकाप्टर से पहुंचा जा सकता है। घाट और हेलीपैड तक जाने के लिए पक्की सड़क भी तैयार हो गई है। सूर्य का अभिवादन करता हुआ स्कल्पचर नमो घाट की नई पहचान है। वाराणसी स्मार्ट सिटी के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. डी. वासुदेवन ने बताया कि नमो घाट के पुनर्विकास में मेक इन इंडिया का विशेष ध्यान रखा गया है। इस घाट पर वोकल फॉर लोकल का मंत्र भी दिखेगा। यहां पर्यटक सुबह-ए-बनारस का नजारा और गंगा आरती में शामिल हो सकेंगे। वाटर एडवेंचर स्पोर्ट्स का लुत्फ ले सकेंगे। सेहतमंद रहने के लिए सुबह मॉर्निंग वाक, व्यायाम और योग कर सकेंगे। दिव्यांगजन और बुजुर्गों के लिए माँ गंगा के चरणों तक रैंप बना है। ओपेन थियेटर है, लाइब्रेरी, वीआईपी लाउंज, बनारसी खान पान के लिए फ़ूड कोर्ट और मल्टीपर्पज़ प्लेटफार्म है, जहाँ हेलीकाप्टर उतरने के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हो सकता है।

 सैलानियों के लिए पसंदीदा जगह बन चुके नमो घाट के 1.6 एकड़ भूमि पर बहुउद्देशीय प्लेटफार्म पर सामाजिक आयोजन भी कराए जा सकते हैं। स्मार्ट सिटी ने घाट के कुछ हिस्से पर शुल्क निर्धारित करते हुए आयोजन कराने की मंजूरी दी है। इसमें सेमिनार, संवाद सहित अन्य सामूहिक आयोजनों के लिए समय के स्लॉट के अनुसार किराया तय किया गया है। इसके साथ ही अब यहां शादी समारोह कराए जाने के प्रस्ताव पर विचार शुरू किया गया है। इसके लिए शुल्क तय करने की प्रक्रिया भी की जा रही है। यहां बता दें कि 11.5 एकड़ एरिया में विकसित नमो घाट को 35.83 करोड़ रुपये लागत से तैयार किया गया है। मल्टीपर्पज़ प्लेटफार्म क्राउड मैनेजमेंट में भी काम आ सकता है। जेटी से बोट से श्री काशी विश्वनाथ धाम जा सकेंगे। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सीएनजी से चलने वाली नाव के लिए एशिया का पहला फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन भी नमो घाट पर बना है। इसके अलावा अन्य गाड़ियों के लिए भी यहां अलग से सीएनजी स्टेशन है। नमो घाट से क्रूज़ के जरिए पास के अन्य शहरों का भ्रमण किया जा सकता है।

 इसके अलावा लगभग 30 साल बाद वाराणसी जंक्शन नए कलेवर में नजर आने जा रहा है। इसकी खासियत वाराणसी में देश का सबसे बड़ा फुट ओवर ब्रिज बनकर तैयार है। साथ ही बदलते काशी के दौर में अब बनारस का प्राचीन रोडवेज बस स्टैंड बदलता हुआ नजर आएगा। इसके अलावा काशी विश्वनाथ धाम के बाद तैयार होने जा रहा एक और कॉरिडोर, जहां सहेजी जाएंगी प्राच्य विद्या की विरासत। देववाणी संस्कृत के संस्कार को देश के साथ ही सात समंदर पार तक पहुंचाने वाला संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जल्द ही नए कलेवर में देश ही नहीं, दुनिया के सामने होगा। विश्वविद्यालय की ओर से परिसर में नया कॉरिडोर बनाने की रूपरेखा तैयार की गई है। इसके तहत 180 करोड़ से विश्वविद्यालय की सूरत संवारने का प्रोजेक्ट शासन के पास भेजा जा चुका है।