क्या आप जानते हैं कि चंद्रमा का हमारी सेहत और मूड से गहरा संबंध है?

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मुंबई: मिशन ‘चंद्रयान-3’ की सफलता ने चांद और इंसान के आपसी गठजोड़ को एक बार फिर केंद्र में ला खड़ा किया है।  चांद हमारी परंपराओं और मान्यताओं में सदियों से शामिल है। लेकिन ये कम ही लोगों को मालूम होगा कि चांद केवल हमारी मान्यताओं पर ही नहीं सीधे मानव के सेहत और मूड को भी प्रभावित करने की क्षमता रखता है।

मनोचिकित्सक अर्नोल्ड लिबर ने अपने तथ्यों से ये साबित किया था कि आपके बनते-बिगड़ते मूड का संबंध चंद्रमा की 16 कलाओं से भी हो सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारे शरीर की जैविक घड़ी पर चंद्रमा के उतार-चढ़ाव का गहरा असर होता है और उसका 24 घंटे का चक्र प्रभावित होता है। ज्योतिष में तो चंद्रमा को मन का स्वामी या मन का कारक माना जाता है। ज्योतिष में वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाले भी मानते हैं कि चंद्रमा का मानव पर सबसे अधिक प्रभाव होता है।

एक रिसर्च की मानें तो कई लोगों में चंद्रमा का आकार बढ़ने के साथ ही दौरे पड़ने की तादाद बढ़ जाती है। नींद कम आने की वजह से कई लोग डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का असर धरती के चुंबकीय क्षेत्रों पर पड़ता है और कुछ लोग इनके प्रति ज़्यादा ही संवेदनशील होते हैं और उनका बर्ताव भी चंद्रमा से प्रभावित हो जाता है।

आपने सनबाथ और उससे होने वाले फायदे के बारे में जरूर सूना होगा। उसी तरह मूनबाथ को लेकर भी कई प्रयोग किए जा चुके हैं। आयुर्वेद मानता है कि जिस व्यक्ति का स्वभाव उग्र होता है, उसे मून लाइट में बैठा कर शांत किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को मून बाथ कहा जाता है। आधे घंटे के लिए चंद्रमा की रोशनी में बैठकर या उसे निहार कर तनाव दूर किया जा सकता है। चांद हमेशा मूड को सीधे तौर पर प्रभावित करने की क्षमता रखता है। चांदनी रातों में अकेले बैठ कर म्यूजिक का आनंद उठाना आपको ऐसे वातारवरण में ले जा सकता है जहां आपका अनुभव आपके पूरे व्यक्तित्व को बदल सकता है। कभी आजमा कर देखिए।