गीतों में अपने नृत्य से जान भर देने वाली कुमकुम

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साथियों,  आपको ये गीत  अवश्य याद होंगे– मेरा नाम है चमेली, मैं हूं मालन अलबेली…..  तेरा जलवा जिसने देखा वो तेरा हो गया ..(उजाला). दिल तोड़ने वाले तुझे दिल ढूंढ रहा है… या कोहिनूर” में  राग हमीर पर आधारित कत्थक ” मधुबन में  राधिका नाचे रे….”  या साहिर लुधियानवी के गीत “रेशमी  सलवार, कुर्ता जाली का  ….”.ऐसे कालजयी गीत जिन पर फिल्माए गए थे, वह अभिनेत्री भी याद होगी…जी, कुमकुम।

पिछले सप्ताह 29 जुलाई, 2020 को 7.40 बजे  हृदय गति रुकने से बेहतरीन नृत्यांगना कुमकुम का मुंबई में उनके बांद्रा स्थित घर निधन हो गया। 22 अप्रैल,  1938 को हुसैनाबाद , जि.शेखपुरा (बिहार), (अब झारखंड) में नवाब मंजूर हसन खान  (जो पहले हिंदू वासुदेव नारायण सिंह थे, बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म कबूला) के घर पैदा हुई। कुमकुम का नाम जेबुन्निसा (कुछ लोग मेहरून्निसा कहते हैं) ने 50 से 70 के दशक में 115 फिल्मों में काम किया। उनकी अंतिम फिल्म “एक कुंवारा एक कुंवारी” थी जो 1973 में बनी थी। कुछ लोग किरण कुमार के साथ बनी “जलते बदन” को अंतिम फिल्म मानते हैं।

नवाबी अमीर खानदान में पैदा हुई कुमकुम के पिता की सारी संपत्ति सरकार ने अधिग्रहित कर ली ।फिर वे कोलकाता चले गए। पिता ने कुमकुम की मां खुर्शिद बानो को छोड़, दूसरी शादी की और पाकिस्तान में बस गये। कुमकुम के पढ़ाई लिखाई लखनऊ और बनारस में हुई। कुमकुम की पहली फिल्म सोहराब मोदी की “मिर्जा गालिब” थी जो 1954 में बनी थी , एक छोटा सा रोल दिया था। गोविंदा की मां निर्मला देवी उनकी सौतेली बहन थी।  इस हिसाब से गोविंदा उनके भतीजे हुए।  “नया दौर” फिल्म में नौटंकी में काम करने वाली उनकी यादगार भूमिका थी।

इस दौरान गुरुदत्त की नजर उन पर पड़ी उन्हें “प्यासा” में छोटी सी भूमिका दी। फिर बाद में “आर पार” में शानदार गीत फिल्माया “कभी आर कभी पार, लागा  तीरे नज़र” जिसने उन्हें बहुत शोहरत दिलाई। दारा सिंह की पहली फिल्म “किंगकांग” में कुमकुम नायिका थी।  उन्होंने शंभू महाराज से कत्थक सीखा। किशोर कुमार के साथ उन्होंने चार सुपरहिट फिल्में कीं– गंगा की लहरें (इसका गीत “मचलती हुई…हवा के संग संग.. बहुत लोकप्रिय हुआ था)श्रीमान फंटूश, हाय मेरा दिल, मिस्टर एक्स इन बॉम्बे”। फिर रामानंद सागर ने उन्हें  आंखें,  (पुरानी) गीत आदि में लिया।

उस ज़माने के मशहूर संगीतकारों जैसे नौशाद, ओ पी नैयर, गायक रफी साहब  और  उस समय के टॉप कलाकार धर्मेंद्र(दिल भी तेरा हम भी तेरे), राजेंद्र कुमार (ललकार)के साथ काम किया है। वे पहली भोजपुरी फिल्म “गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाइवे” की नायिका रही  और भोजपुरी की मधुबाला कहलाने लगी। प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की उपस्थिति में इस फिल्म का प्रीमियर हुआ था। उनकी बहन राधिका भी  फिल्मों से जुड़ी रहीं।  उन की दो फिल्में “रात के राही” और “काला समंदर” आई। 86 वर्षीय कुमकुम ने सज्जाद अकबर खान से शादी की।

हमारे वरिष्ठ साथी श्री अंजनी  श्रीवास्तव ने बताया कि कुमकुम ने उनके भाई की बेटी अंदलीब को गोद लिया। वे 23 वर्ष  सऊदीअरब में रही। 1995 में परिवार के साथ मुंबई आकर फिल्मों में पुनः सक्रिय हुई और फिर मुंबई में ही बस गई। मदर इंडिया,  एक सपेरा :एक लुटेरा,  अपलम चपलम, श्रीमान फंटूश, कुंदन, राजा और रंक,बसंत बहार, शरारत, आन-बान, शेरखान जैसी कई महत्वपूर्ण फिल्मों में काम करने वाली कुमकुम का  दुर्भाग्य रहा कि वह कभी भी महत्वपूर्ण अभिनेत्री नहीं कहलाई। सादा जीवन जीने वाली आदर्श महिला के रूप में उन्हें फिल्म प्रेमी हमेशा याद रखेंगे। नमन। 

साभार: अनंत श्रीमाली