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    नयी दिल्ली. जहाँ एक तरफ कोयले (Coal) की कमी का संकट विश्व स्तर (Coal Shortage) पर पैदा हुआ है। इसलिए अब इसके चलते भारत में भी इसका व्यापक असर पू पड़ रहा है। जी हाँ कोयले की कमी के चलते अब देश में  की बिजली उत्पादन क्षमता भी कम हुई है। यह समस्या अब बिजली उत्पादन कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती बन चुकी है। 

    बढ़ रही समस्या 

    अगर अब भारत के सरकारी आंकड़ों को देखें तो देश के थर्मल बिजली संयंत्रों में अब कुछ ही दिनों का कोयला बचा है। यूपी के कई पावर प्‍लांट को कोयले की कमी के चलते पहले ही बंद हो चुके हैं। उधर, अमेरिका में भी बीते शुक्रवार को एक गैलन गैसोलिन के लिए कीमत 3.25 डॉलर पहुंच गई जबकि अप्रैल में यही कीमत 1.27 प्रति गैलन थी। दरअसल, कठिन कोरोना काल के बाद अब जब दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था एक बार फिर से अपने उफान पर आ रही है, ऐसे में अचानक से पैदा हुआ ऊर्जा संकट अब सप्‍लाइ चेन पर संकट ला खड़ा किया है। यही नहीं इस संकट के चलते भूराजनीतिक तनाव भी बढ़ रहा है। 

    अन्य देशों के भी हाल ख़राब 

    इस बीच अब कई यूरोपीय देशों ने यह संगीन आरोप लगाया है कि रूस इस आपदा में अब अपने अवसर तलाश रहा है और उसने अब गैस के दाम बढ़ा दिए हैं। वहीं अब चीन, भारत, यूरोप में चल रहे संकट के बीच लेबनान में भी अब बिजली संकट गंभीर हो गया है। लेबनान में ईंधन की कमी के चलते अब कई दिनों के लिए यहाँ बिजली कटौती का भी ऐलान हो रखा है। 

    भारत में भी कोयले का 2-4 दिन का ही स्टॉक बचा

    बात अगर भारत की करें तो यहाँ कोयले से चलने वाले 135 पावर प्लांट में से आधे से ज्यादा ऐसे हैं, जहां कोयले का स्टॉक अब खत्म हो चला है। इनमें से कई पावर प्लांट में केवल 2-4 दिन का ही जरुरी स्टॉक बचा है जो जल्द ही ख़त्म हो जाएगा। ऐसा हुआ तो देश के कई हिस्सों में भी अंधेरा छा जाएगा और इनमें राजधानी दिल्ली भी प्रमुखता से शामिल होगी। इधर राजस्थान और पंजाब के कुछ हिस्सों में तो बिजली की कटौती शुरू हो चुकी  है। पता हो कि कोयला आधारित संयंत्र, थर्मल पावर प्लांट की कैटेगरी में आते हैं। वहीं भारत में इस्तेमाल होने वाली बिजली की आपूर्ति 71% थर्मल पावर प्लांट्स के जरिए की जाती है। ऐसी जटिल समय में भारत किस तरह से खुद का बचाव करेगा, फिलहाल इसका सभी लोग इन्तजार कर रहे हैं।