
मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र स्थिर है और महंगाई का बुरा दौर पीछे छूट चुका है। उन्होंने साथ ही जोड़ा कि महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगे कई झटकों, यूक्रेन युद्ध और दुनिया भर में कड़ी मौद्रिक नीति के बावजूद ऐसा है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉलर की जोरदार मजबूती के बावजूद रुपये ने दूसरी मुद्राओं के मुकाबले सबसे कम अस्थिरता का प्रदर्शन किया है।
दास ने कोच्चि में 17वें के पी होर्मिस (फेडरल बैंक के संस्थापक) स्मारक व्याख्यान में कहा कि कुछ महीने पहले वैश्विक मंदी के बारे में अत्यधिक चिंताओं के बावजूद, वैश्विक अर्थव्यवस्था ने अधिक जुझारूपन दिखाया है। गवर्नर ने कहा कि वैश्विक वृद्धि में गिरावट का रुख है। मुद्रास्फीति के कारकों में होने वाले संरचनात्मक बदलावों के बारे में भी काफी अनिश्चितता है। इनमें श्रम बाजार की गतिशीलता से लेकर बाजार की शक्ति का केंद्रीकरण और कम कुशल आपूर्ति श्रृंखला शामिल हैं।
Geo-politics has now been taken over by Geo-Economics. According to the IMF, the global economy is now experiencing a process of e-channels and they are trade, technology, capital flows, labour mobility & global governance: RBI Governor Shaktikanta Das
— ANI (@ANI) March 17, 2023
उन्होंने कहा कि हालांकि भरोसा पैदा करने वाले पहलू भी हैं, जैसे वैश्विक खाद्य, ऊर्जा और अन्य जिंसों की कीमतें अपने ऊपरी स्तर से घट गई हैं। साथ ही आपूर्ति श्रृंखला सामान्य हो रही है। ऐसे में आयातित मुद्रास्फीति काबू में होनी चाहिए। भारत की जी20 अध्यक्षता के बीच कई उभरते संकटों को दूर करने में उसकी भूमिका पर दास ने कहा कि देश को यह भूमिका ऐसे वक्त में मिली है, जब भू-आर्थिक बदलाव काफी कठिन हैं, जिन्होंने वैश्विक व्यापक वित्तीय संभावनाओं को बिगाड़ दिया है।
उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गंभीर आपूर्ति-मांग असंतुलन है और लगभग सभी देशों में महंगाई तेजी से बढ़ रही है। इसने जटिल नीतिगत चुनौतियां पेश की हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट जी20 के लिए अवसर भी है और परीक्षा का वक्त भी है।
दास ने आईएमएफ का हवाला देते हुए कहा कि यूक्रेन युद्ध के साथ भू-राजनीति की जगह अब भू-अर्थशास्त्र ने ले ली है। इसके कारण, वैश्विक अर्थव्यवस्था अब भू-आर्थिक विखंडन की प्रक्रिया का सामना कर रही है। ऐसा पांच प्रमुख माध्यमों – व्यापार, प्रौद्योगिकी, पूंजी प्रवाह, श्रम गतिशीलता और वैश्विक शासन के जरिये हो रहा है।