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दिल्ली: केंद्र सरकार (Central Govt) ने जानकारी दी है कि सरकारी बैंकों (Bank) द्वारा राइट ऑफ लोन (Write Of Loan) की रिकवरी (Recovery) चल रही है। संसद (Parliament) में बताया गया है कि पिछले पांच वर्षों में 2.3 लाख करोड़ की कर्ज (Loan) वसूल किया गया है। सरकार ने बताया कि बैंकों ने पिछले चार साल में 8 लाख 48 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को राइट ऑफ किया है।

2 लाख 3 हजार करोड़ की कर्ज वसूली

राज्यसभा में वित्त मंत्री से पूछा गया कि पिछले पांच साल में जिन डिफॉल्टर्स (Defaulters) ने बैंकों से कर्ज लिया था, उनकी संपत्तियों को बेचकर कितना पैसा वसूल किया गया है। इस सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने कहा कि सरफेसी एक्ट और आरडीबी एक्ट के तहत डेट रिकवरी आर्बिट्रेशन के जरिए कर्ज की वसूली की जाती है। इसमें बकाएदारों की संपत्ति बेचकर कर्ज की वसूली की जाती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, 2017-18 से 2021-22 तक पांच वर्षों में SARFACI अधिनियम के माध्यम से 1,54,603 करोड़ रुपये की वसूली की गई है। बैंकों ने कर्ज वसूली के जरिये 48,287 करोड़ रुपये की वसूली की है। इन कर्जों को बैंकों ने राइट ऑफ कर दिया। इसका मतलब यह हुआ कि अब बैंकों ने दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज डिस्काउंट खाते में डाल दिया है। वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड (Minister of State for Finance Bhagwat Karad) ने कहा कि एनपीए (NPA) के चार साल पूरे होने के बाद प्रावधान करके इन कर्जों को डिस्काउंट खाते में डाल दिया जाता है। उन्होंने बताया कि आरबीआई के दिशा-निर्देशों और बोर्ड की मंजूरी के बाद एनपीए कर्ज डिस्काउंट खाते में डाले जाते हैं।

चार साल में 8.5 लाख करोड़ का कर्ज राइट-ऑफ

वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने संसद को बताया कि रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार कमर्शियल बैंकों (Commercial Bank) ने 2018-19 में 2,36,265 करोड़ रुपये, 2019-20 में 2,34,170 करोड़ रुपये, 2020-21 में 2,02,781 करोड़ रुपये और 1,74,966 करोड़ रुपये का कर्ज खाते में डाला गया है। यदि लोन खाते में डाल दिया जाता है तब भी कर्जदार से लोन की वसूली की जाती है। लोन वसूली की प्रक्रिया राइट ऑफ लोन खाते से शुरू होती है।