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  • वेल्थ क्रिएशन एक लंबी प्रक्रिया

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मुंबई: निवेश (Investment) की सफलता सही स्टॉक (Stock) या म्यूचुअल फंड स्कीम (Mutual Fund Scheme) का चयन करने या फिर बाजार में सही समय पर निवेश करने पर निर्भर करती है। हालांकि निवेश की सफलता का मतलब पोर्टफोलियो की सफलता या धन सृजन (Wealth Creation) नहीं है। अधिकांश निवेशक इस अंतर को नहीं समझते हैं। विजडम एज इन्वेस्टमेंट (Wisdom Edge Investment) के संस्थापक भावेश दमानिया का कहना है कि धन सृजन एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें कुछ अच्छे स्कीम या स्टॉक का चयन और सही समय निवेश की बजाय अनुशासन और धैर्य की आवश्यकता होती है। पेशेवर निवेशक सही पिक और टाइमिंग कर सकते हैं, लेकिन हमेशा नहीं।

पेशेवर निवेशकों के अलावा आम निवेशक को निवेश के संरचित दृष्टिकोण पर निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए आम निवेशकों के लिए एसेट एलोकेशन अप्रोच (Asset Allocation Approach)  काम आता है। एसेट एलोकेशन यानी परिसंपत्ति आवंटन आपके पैसे का बेहतरीन तरीके से निवेश यानी प्रबंधन करने की एक प्रक्रिया है। प्रत्येक एसेट क्लास में अलग-अलग जोखिम और प्रतिफल की विशेषता होती है। जिनमें संतुलित रूप से निवेश किया जाना चाहिए।

4 मुख्य एसेट क्लास

म्यूचुअल फंड सलाहकार भावेश दमानिया ने कहा कि ज्यादात्तर निवेशकों द्वारा एसेट एलोकेशन को गलत समझा जाता है। रेजिडेंशियल, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल जैसी कई सारी संपत्तियां होना एसेट एलोकेशन नहीं बल्कि विविधीकरण है। इसी तरह लार्ज कैप, मिडकैप या स्मॉल कैप निवेश भी विविधीकरण ही है। सही एसेट एलोकेशन का मतलब कुल निवेशित पूंजी के सही प्रतिशत के साथ परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करना होता है। मोटे तौर पर 4 एसेट क्लास हैं, जैसे इक्विटी (Equity), डेब्ट (Debt), रियल एस्टेट (Real Estate) और कमोडिटी (Commodities)। इनमें सही प्रतिशत के साथ पूंजी आवंटन महत्वपूर्ण है। अधिकांश भारतीयों का झुकाव डेब्ट (FDs/Bonds) व रियल एस्टेट के साथ बीमा पॉलिसियों (Insurance Policies) की ओर रहा है और सोने (Gold) में निवेश तो प्रथागत और सांस्कृतिक कारणों से है।

इक्विटी सबसे आशाजनक श्रेणी

इतिहास ने साबित कर दिया है कि एक एसेट क्लास के रूप में इक्विटी सबसे आशाजनक श्रेणी रही है, जिसने मुद्रास्फीति (Inflation) को मात देकर रिटर्न (Return) दिया है। अगला एसेट क्लास गोल्ड और रियल एस्टेट है। केवल डेब्ट और बीमा निवेशकों को सेवानिवृत्ति के जीवन में जीवन शैली को बनाए रखना मुश्किल होता है। इसलिए सही प्रतिशत आवंटन का चयन सुनिश्चित करता है कि सभी संपत्तियों का फायदा मिले और वेल्थ क्रिएट हो सके। अच्छी बात यह है कि भारत के आम निवेशकों में एसेट एलोकेशन का सही अर्थ और इसका महत्व समझ में आने लगा है और यह जागरूकता लाने में म्यूचुअल फंडों (Mutual Funds) की अहम भूमिका रही है। आज म्यूचुअल फंड हाउस ऐसे फंड यानी स्कीम की पेशकश करते हैं, जो डेब्ट और इक्विटी के अलावा गोल्ड और रियल एस्टेट में भी निवेश करते हैं और निवेशक इनके प्रति तेजी से आकर्षित भी होने लगे हैं। इनमें कई फंड टैक्स बचत वाली भी होते हैं। इन फंडों का ऑटो रीबैलेंसिंग और पेशेवर प्रबंधन निवेशक को बेहतर रिटर्न प्रदान करता है।