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    नई दिल्ली. जहां साल 2024 का आम बजट (General Budget) पेश होने में फ़िलहाल एक महीने से भी कम का वक्त बचा है। वहीं मोदी सरकार दिन रात एक करके बजट की तैयारियों में लगे हैं।लेकिन इन सबके बीच मीडिया में एक लिस्ट वायरल हो रही है, जिसमें कुछ सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की बात कही जा रही है, जबकि कुछ को छोड़ देने की बात सामने आई है। हालांकि इस लिस्ट और खबर को लेकर अब नीति आयोग (Niti Aayog) ने साफ़ कहा कि ये सभी खबरें गलत हैं।

    आज यानी शुक्रवार को नीति आयोग ने कहा कि, ” मीडिया में नीति आयोग द्वारा जारी सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की लिस्ट को लेकर मनगढ़ंत संदेश प्रसारित हो रहा है। नीति आयोग यह साफ़ करता है कि, ऐसी कोई लिस्ट किसी भी रूप में शेयर नहीं की गई है।

    क्या SBI और PNB होंगे प्राइवेट ?

    दरअसल बजट से पहले, बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की खबर को इस तरह से प्रसारित किया गया जैसे कि सरकार SBI और PNB जैसे बड़े सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करने जा रही है।

    लेकिन इसके उलट हकीकत में नीति आयोग ने मार्च 2021 में अपनी सिफारिशों में SBI समेत PNB, केनरा बैंक, यूनियन बैंक, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को प्राइवेटाइजेशन की लिस्ट से बाहर रखने की बात कही है। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल अपने बजट भाषण में दो सरकारी बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की एक बात जरुरर कही थी।

    नीति आयोग ने दी सफाई

    वहीं अब सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन पर अब नीति आयोग ने साफ किया कि उसकी तरफ से अब तक ऐसी कोई लिस्ट जारी नहीं की गई है। तो अब ये स्पष्ट है कि मोदी सरकार फिलहाल तो इन सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन पर कुछ नहीं सोच रही है। 

    पहले भी हुए हैं बैंकों का विलय 

    हालांकि साल 2019 में देश में कई सरकारी बैंकों का आपस में विलय करके उन्हें बड़ा बैंक बनाया गया था। तब इसके तहत PNB में  ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का विलय हुआ था। वहीं ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक, जबकि  ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का विलय और अंत में इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में समावेश किया गया था। लेकिन फिलहाल SBI और PNB पर प्राइवेटाइजेशन की गाज नहीं गिरने वाली है।