रायपुर. छत्तीसगढ़ में लगभग पांच लाख वन अधिकार पत्रों का वितरण किया गया है। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि छत्तीसगढ़ सामुदायिक और व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों के वितरण के मामले में देश का अग्रणी राज्य है। छत्तीसगढ़ में चार लाख 84 हजार 975 व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार पत्रों का वितरण किया गया है, जबकि पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में दोनों श्रेणियों में दो लाख 56 हजार 997 वन अधिकार पत्र, महाराष्ट्र में एक लाख 72 हजार 116, ओडिशा में चार लाख 43 हजार 761 और गुजरात में 93 हजार 704 वन अधिकार पत्रों का वितरण किया गया है। अधिकारियों ने बताया, ‘‘मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि सभी पात्र लोगों तक वन अधिकार पट्टों की पहुंच सुनिश्चित करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इस उपलब्धि के लिए आदिम जाति अनुसूचित जाति विकास विभाग, वन और राजस्व विभाग के अधिकारियों को बधाई दी।”
बघेल ने कहा, ‘‘32 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासी-समुदाय का समग्र विकास राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। आदिवासियों तक उनके सभी तरह के अधिकारों की पहुंच सुनिश्चित किए बिना नवा-छत्तीसगढ़ गढ़ने का सपना साकार नहीं हो सकता। जिन वनों पर उनका जीवन और आजीविका निर्भर है, उन पर पहला अधिकार आदिवासियों का ही है।” अधिकारियों ने बताया कि वन अधिकार पत्रों के माध्यम से मान्य की गई वन भूमि के रकबे में भी छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से काफी आगे है। व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों श्रेणी के वन अधिकार पत्रों के माध्यम से छत्तीसगढ़ में 50 लाख 16 हजार 85 एकड़ से अधिक वन भूमि पर व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार दिए गए हैं।
जबकि मध्यप्रदेश में दोनों श्रेणियों के वन अधिकार पत्रों के माध्यम से 22 लाख 79 हजार 53 एकड़, महाराष्ट्र में 31 लाख 29 हजार 589 एकड़, उड़ीसा में आठ लाख 87 हजार 927 एकड़ और गुजरात में 13 लाख 9 हजार 58 एकड़ में व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार मान्य किए गए हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक चार लाख 41 हजार 429 व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र वितरित किए गए, जिनमें नौ लाख 18 हजार 788 एकड़ भूमि में वन अधिकार मान्य किए गए। इसी प्रकार सामुदायिक वन अधिकार पत्रों में छत्तीसगढ़ में 43 हजार 546 सामुदायिक वन अधिकार पत्रों के वितरण के माध्यम से 40 लाख 97 हजार 297 एकड़ में वन अधिकार मान्य किए गए हैं।(एजेंसी)