दादा के 4 फैसले जिन्होंने भारतीय क्रिकेट का भविष्य तराशा

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    -विनय कुमार

    ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व जानदार और दमदार कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly BCCI President) आज, 8 जुलाई को 49 साल के हो गए। गांगुली क्रिकेट के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक माने जाते हैं। बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के ‘दादा’ ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 11363 एकदिवसीय रन (Ganguly ODI Runs) बनाए, जिसमें 22 शतक शामिल हैं। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 113 मैच खेले और 7212 रन बनाए।

    गौरतलब है कि, सौरव गांगुली को उनके बेबाक अंदाज के लिए खूब जाना जाता था। वे मैचों में विपक्षी टीम की बिल्कल परवाह नहीं करते थे। क्रिकेट-पंडितों का मानना है कि सौरव गांगुली में अपनी टीम के खिलाड़ियों के टैलेंट को पहचानने की नेचरल क्वालिटी थी और  नैसर्गिक थी, इतना नेचरल कप्तान भारत के इतिहास में कभी नहीं देखा गया। गांगुली के जन्मदिन के अवसर पर आइए जानें उनके पांच फैसलों के बारे में बात करेंगे जब सौरव गांगुली ने इंडियन क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल दिया।

    1. वीवीएस लक्ष्मण को नंबर तीन पर खेलने का निर्णय

    सौरव गांगुली ने बतौर कप्तान हमेशा अपनी दिल आवाज सुनी और जिसकी झलक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 में कोलकाता टेस्ट (India vs Australia Kolkata Test Ganguly)में आई थी। गांगुली को लगा कि वीवीएस लक्ष्मण (VVS Laxman) की सही काबिलियत का इस्तेमाल उनको नंबर तीन पर बल्लेबाजी के लिए भेजकर किया जा सकता है। उस मैच मेंं तब टीम इंडिया तीसरे दिन फॉलोऑन कर रहा था। भारतीय टीम की हालत नाजुक हो चुकी थी। ऐसे वक्त में कप्तान सौरव गांगुली ने  वीवीएस लक्ष्मण को राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) से पहले बल्लेबाजी के लिए उतार दिया था। वीवीएस लक्ष्मण तुरूप का पत्ता साबित हुए। उन्होंने 281 रन बनाए। किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा खेली गई एवर पॉपुलर (ever popular test batting inning) पारी के तौर पर आज भी याद की जाती है। राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) ने भी सेंचुरी ठोकी थी। और, स्पिन गेंदबाजी के जादूगर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने मैच के पांचवें, यानी आखिरी दिन कमाल की गेंदबाजी की थी और ऑस्ट्रेलिया के लगातार 16 मैच जीतने के बाद नई जीत का सिलसिला टूट गया। इसके अगले, यानी सीरीज के अंतिम टेस्ट मैच में जो चेन्नई टेस्ट में खेला गया था, भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर 2-1 से जीत दर्ज की।

    2. वीरेंद्र सहवाग को ओपनर बनाया

    वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag) जबरदस्त विस्फोटक बल्लेबाज थे, लेकिन उन्होंने मिडल ऑर्डर बल्लेबाज के तौर पर शुरुआत की थी, जब उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करते हुए नंबर 6 पर बल्लेबाज़ी करने मैदान में उतरे थे और सेंचुरी ठोकी थी। तात्कालीन कप्तान गांगुली ने सहवाग की बल्लातोड बल्लेबाजी देखकर उनको सलामी बल्लेबाज के तौर पर सामने लाया। हालांकि, सहवाग की बल्लेबाजी तकनीक ओपनर के हिसाब से नहीं थी, लेकिन कप्तान सौरव गांगुली ने जो भरोसा दिखाया था, वह भरोसा क्लिक कर गया और मुल्तान के सुल्तान वीरेंद्र सहवाग भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक शानदार ओपनर साबित हुए। दो तिहरे शतक (Triple Century) और करीब 50 की औसत से उन्होंने अपने करियर में बतौर ओपनर रन बनाए। 

    3. राहुल द्रविड़ को विकेटकीपिंग के लिए किया राज़ी

    सौरव गांगुली के करियर का दुर्भाग्य यह रहा उनकी कप्तानी के समय महेंद्र सिंह धोनी जैसा चीता विकेटकीपर नहीं मिला। धोनी से पहले टीम इंडिया एक अच्छे विकेटकीपर-बल्लेबाज के लिए जूझ रही थी। ऐसे वक्त पर सौरव गांगुली ने राहुल द्रविड़ पर गौर किया और द्रविड़ को इसके लिए मनाया। राहुल ने शुरुआती हिचकिचाहट के बाद गांगुली के ऑफर को स्वीकारा और नियमित तौर पर कीपिंग भिंकरने लगे। इस जुगाड़ के साथ उन्होंने 2002 से 2004 के बीच टीम में एक्स्ट्रा बल्लेबाज शामिल कर लिया। टीम इंडिया को एक्स्ट्रा बल्लेबाज का फायदा हुआ। उसके बाद राहुल द्रविड़ को बैटिंग ऑर्डर नंबर पांच पर भेजा गया। इस पोजीशन में उन्होंने कुछ बेहतरीन और यादगार ODI पारियां खेली।

    4. नए खिलाड़ियों में जोश और आत्मविश्वास भरा

    सौरव गांगुली ने क्रिकेट की दुनिया में आए नए खिलाड़ियों को यह यकीन दिलाया कि वे भारतीय मैदानों पर ही शेर नहीं हैं। उन्होंने वीरेंद्र सहवाग (Virendra Sehwag), युवराज सिंह (Yuvraj Singh), हरभजन सिंह (Harbhajan Singh), जहीर खान (Zahir Khan), महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) जैसे धाकड़ खिलाड़ियों  की एक ऐसी शानदार टीम तैयार की थी, कि जो विदेशों के मैदानों में भी जीत का जोश और जुनून रखती थी। उन्होंने बिल्कुल स्क्रैच से अपनी टीम को तैयार किया और यह सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) की खून-पसीने का सिला था, अगले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के काम आया। 

    गौरतलब है कि, भारतीय क्रिकेट टीम का दामन साल 2000 में मैच फिक्सिंग स्कैंडल के आरोपों से दागदार हो गया था, जिसकी वजह से टीम के खिलाड़ियों का मोराल डाउन हो गया था। ऐसे समय में सौरव गांगुली ने ही टीम के खिलाड़ियों को हारने नहीं दिया और आत्मविश्वास भरा। साथ ही दिखाया की उनकी टीम कहीं पर भी जीत सकती है।

    आप शायद जानते ही होंगे कि, सौरव गांगुली ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 28 ओवरसीज टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें से 11 मैचों में जीत हासिल की, जो कि टीम इंडिया के मौजूदा धांसू कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli Captain Indian Cricket Team) के बाद दूसरे नंबर पर हैं। लेकिन गौर करने वाली बात ये भी है कि विराट कोहली ने विदेशों में कमजोर टीमों को भी हराया है, जबकि सौरव गांगुली के दौर में वेस्ट इंडीज (West Indies) और जिंबाब्वे (Zimbabwe) जैसी टीम भी अपने होम ग्राउंड पर जबरदस्त मजबूत हुआ करती थी।