इस दिवाली 499 साल बाद देखने मिलेगा ग्रहों का दुर्लभ योग

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सीमा कुमारी

दिवाली हिन्दुओं का एक बहुत बड़ा त्यौहार है और इस साल 14 नवंबर शनिवार को दिवाली का त्यौहार मनाया जायेगा.यह एक ऐसा त्यौहार है जिसमें लोग माँ लक्ष्मी के स्वागत के लिए अपने घर-दुकान या ऑफिस आदि की साफ़ -सफाई कर घरों को लाइट और फूलों से सजाते हैं. इसलिए दिवाली को दीपोत्सव भी कहते हैं . दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है जो अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है. आध्यात्मिक रूप से यह ‘अंधकार पर प्रकाश की विजय’ को दर्शाता है .लेकिन  इस साल दिवाली यानी 2020  पर बहुत खास संयोग पड़ रहा है. और तो तंत्र विद्या या पूजा के लिए दिवाली को विशेष माना जाता है. मानें तो सन 1521 के 499 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ योग देखने को मिलेगा. माना जाता है कि आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाला ग्रह गुरु और शनि है. ऐसे में इस वर्ष दीपावली पर धन संबंधी कार्यों में बड़ी उपलब्धि मिल सकती है, क्योंकि ये दोनों ग्रह अपनी राशि में होंगे.

 

जाने दिवाली की शुभ मुहूर्त-

  • इस बार मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा 14 नवंबर (शनिवार को होगी). पूजा का शुभ मुहूर्त 17:28 से 19:24 तक रहेगा. पूजा करने की शुभ समय अवधि 1 घंटा 56 मिनट की होगी.
  • प्रदोष काल 17:28 से 20:07 तक रहेगा. वहीं, वृषभ काल 17:28 से 19:24 तक रहेगा.
  • इस साल अमावस्या 14 नवंबर को 14:17 बजे से शुरू होगी और 15 नवंबर को 10:36 बजे तक रहेगी.

इस साल  गुरु और शनि आर्थिक स्थिति को मजबूत और बेहतर बनने वाले ग्रह बताया जा रहा  है. ऐसे में यह दीपावली आपके लिए कई शुभ संकेत लेकर आया है . शनि अपनी मकर राशि में विराजमान रहेगी. इस दिन अमावस्या का योग भी है. ऐसे में तंत्र-यंत्र की पूजा करना इस दिन अधिक लाभदायक  होगा .दिवाली यानी इस महापर्व पर केवल माँ लक्ष्मी की ही नहीं बल्कि साथ ही साथ भगवान विष्णु की पूजा अर्चना भी श्रद्धापूर्वक की जानी चाहिए, तब ही मां प्रसन्न होती है . इसके अलावा आप इस दिन यमराज, चित्रगुप्त, कुबेर, भैरव, हनुमानजी, कुल देवता व पितरों का भी श्रद्धापूर्वक पूजना चाहिए तभी आपको पूजा का पूरा फल मिल सकता है. 

इस साल दोनों दिवाली एक ही दिन मनाई जाएगी. कार्तिक मास की त्रयोदशी से भाई दूज तक दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. लेकिन, इस बार छोटी और बड़ी दिवाली एक ही दिन हो रही है. इसलिए इस वर्ष     कार्तिक मास की त्रयोदशी 13 नवंबर को और छोटी व बड़ी दिवाली 14 नवंबर को मनाया जायेगा.

 

दिवाली पूजा की आवश्यक साम्रगी

  • रोली, चावल, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि.

कैसे करें पूजा-

  •  स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए.
  • मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए. इसके बाद मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़कना चाहिए.
  • अब फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए.
  • इनके साथ-साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. पूजा करते समय 11 छोटे दीप और एक बड़ा दीप जलाना चाहिए.
  • भगवान के बाईं तरफ घी का दीपक जलाएं, और उन्हें फूल, अक्षत, जल और मिठाई अर्पित करें .अंत में गणेश जी और माता लक्ष्मी की आरती उतार कर भोग लगाकर पूजा संपन्न करें .
  • जलाए गए 11 या 21 दीपकों को घर के सभी दरवाजों के कोनों में रख दें .
  • इस दिन पूजा घर में पूरी रात एक घी का दीपक भी अवश्य जलाएं