कोरोना संकट अभी टला नहीं है, इसे देखते हुए अनलॉक करने के लिए व्यर्थ जल्दबाजी करने की बजाय एहतियात बरतते हुए धैर्य रखना जरूरी है.
कोरोना संकट अभी टला नहीं है, इसे देखते हुए अनलॉक करने के लिए व्यर्थ जल्दबाजी करने की बजाय एहतियात बरतते हुए धैर्य रखना जरूरी है. यद्यपि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने हाल ही में कहा था कि नवंबर माह में समूचा राज्य अनलॉक हो जाएगा और लॉकडाउन जैसा कोई मुद्दा ही नहीं रह गया लेकिन अगले ही दिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अभी मंदिर व जिम खोलने का वक्त नहीं आया है. मंदिर खोलने की जो मांग हो रही है, उसे हम समझ सकते हैं लेकिन जनता की सेहत का ध्यान रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. सरकार भी मंदिरों पर ताले लगाने से खुश नहीं है लेकिन जब मंदिरों के दरवाजे खुलें तो समृद्धि आए, न कि कोरोना का प्रसार हो. इसलिए अभी मंदिरों को बंद रखना ही श्रेयस्कर है. जिम खोलने के संदर्भ में नियमावली तैयार की जाएगी क्योंकि एक्सरसाइज करते समय हार्ट का पंपिंग रेट अधिक होता है जिससे सांस की गति बढ़ जाती है और कोरोना का प्रसार होने का खतरा बढ़ जाता है. मुंबई की लोकल ट्रेनों के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि वे मुंबई में भीड़ जमा करने के पक्ष में नहीं हैं. मुंबई में लोकल ट्रेनें पूरी क्षमता से नहीं चलाई जा सकतीं. राज्य के अंदरूनी हिस्सों में ट्रेन सेवाएं शुरू की जा सकती हैं. यह पूछने पर कि लॉकडाउन के पहले जैसी लोकल सेवा शुरू थी, वैसी सेवा कब पूर्ववत शुरू हो पाएगी, इसका सीएम ने कोई जवाब नहीं दिया. जनता को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि कुछ लोग प्रार्थनास्थल शुरू करने की मांग पर जोर दे रहे हैं लेकिन लोगों की जिम्मेदारी उन पर नहीं, हम पर है. मंदिरों को खोलने के बारे में हम पूरी सतर्कतापूर्वक निर्णय लेंगे. लोगों को तय करना होगा कि उन्हें कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए नियमों का पालन करना है या फिर लॉकडाउन में ही रहना है? मुख्यमंत्री के कथन से यह बात साफ हो गई है कि वे जनता के स्वास्थ्य को देखते हुए किसी प्रकार का जोखिम लेना नहीं चाहते. त्योहारों का सीजन सामने है. यदि मंदिर खोलने की अनुमति दी तो भीड़ बढ़ेगी और कोरोना तेजी से फैलेगा. लोकल ट्रेन शुरू करने से भी महामारी के प्रसार का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि कोरोना का अभी कोई पक्का इलाज नहीं है. इसका टीका आने में भी अभी काफी वक्त है, इसलिए लोगों को इससे बचाव के सारे नियमों का पालन करते हुए घरों में रहना ही उचित है. यदि एकदम से अनलॉक की पूरी छूट दे दी तो परिणाम भयावह हो सकते हैं. महामारी तेजी से फैली तो अब तक के सारे प्रयासों पर पानी फिर जाएगा और हालात बेकाबू हो जाएंगे. इसलिए दिसंबर के पहले मंदिर, जिम या स्कूल खुलने की कोई उम्मीद नहीं है.