Ramesh Pokhriyal Nishank

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नयी दिल्ली. केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ (Ramesh Pokhriyal Nishank) ने मंगलवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) (New national education policy) संविधान में निहित शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण (Reservation) के प्रावधानों को कमजोर नहीं करेगी। मंत्री ने कहा कि एससी, एसटी, ओबीसी, दिव्यांग और अन्य सामाजिक-आर्थिक वंचित समूहों को शैक्षिक समावेश में लाने के नए प्रयासों के साथ चल रहे सफल कार्यक्रम और नीतियां जारी रहेंगी।

शिक्षा मंत्री की यह प्रतिक्रिया ‘पीटीआई-भाषा’ की पिछले सप्ताह उस खबर के बाद आई है जो माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे उस पत्र के आधार पर थी जिसमें उन्होंने पूछा था कि क्या नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षण संस्थानों में आरक्षण नीति समाप्त करने का विचार है। निशंक ने एक बयान में कहा, ‘‘मेरे कुछ राजनीतिक मित्र यह शंका उठा रहे हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 देश की शैक्षिक व्यवस्था में आरक्षण के प्रावधानों को कमजोर कर सकती है।” उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी तरफ से यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि ऐसा कोई इरादा नहीं है जैसा कि एनईपी में स्पष्ट रूप से परिलक्षित भी होता है। यह नीति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में निहित आरक्षण के संवैधानिक प्रावधान की पुष्टि करती है।”

मंत्री ने कहा कि जैसे जेईई, एनईईटी, यूजीसी-नेट, इग्नू जैसी विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन एनईपी, 2020 की घोषणा के बाद किया गया था और शैक्षणिक संस्थानों में कई नियुक्ति प्रक्रियाएं भी आयोजित की गई थीं, लेकिन अभी तक आरक्षण के प्रावधान को कमजोर किये जाने की कोई शिकायत नहीं मिली है। येचुरी ने पत्र में दावा किया था कि शिक्षा नीति में अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों तथा दिव्यांगों के लिए आरक्षण का कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने पत्र में कहा था कि शिक्षा नीति के दस्तावेज में कहीं भी ‘आरक्षण’ शब्द नहीं है।(एजेंसी)