Sanjay Dutt
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मुंबई: कॉलेज के दिनों से ही संजय दत्त ने नशे को अपना साथी बना लिया था। धीरे-धीरे उनकी लत इतनी आगे बढ़ गई कि नशे के बिना उनका जीवन दूभर-सा हो गया। संजय दत्त नशे में इतनी बुरी तरह डूब चुके थे कि जब उनकी मां नरगिस की मौत हुई तो उनकी आंखों से एक बूंद आंसू तक नहीं निकले। जब नरगिस की अंतिम यात्रा निकली, तो संजय दत्त ड्रग्स ले रहे थे। इस घटना से सुनील दत्त इतने आहत हुए उन्होंने संजय दत्त को घसीटकर नरगिस की अर्थी तक पहुंचाया।

दोस्तों को घर बुलाकर लेते थे ड्रग्स

1981 में जब संजय दत्त ने फिल्म ‘रॉकी’ से बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की, तो नशे की लत के कारण उनके लिए काम करना काफी मुश्किल हो गया था। चूंकि ये फिल्म सुनील दत्त बना रहे थे, इसलिए उन्होंने अपने बेटे के हर नखरों को नजरअंदाज किया। संजय दत्त की इस आदत की वजह से उनकी मां नरगिस काफी दुखी रहती थी। उन्होंने बेटे को सुधारने की काफी कोशिशें की। यहां तक कि नरगिस ने बगैर किसी काम के संजय के घर से बाहर निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगा रखी थी, लेकिन संजय दत्त कहां बाज आने वाले थे। उनकी सोहबत ऐसी थी कि वो घर में ही अपने दोस्तों को बुलाकर अपना कमरा बंद कर लेते और ड्रग्स लेते रहते।

अधूरी रह गई नरगिस की आखिरी इच्छा

इसी बीच नरगिस कैंसर से ग्रस्त हो गई और संजय दत्त फिर से बेलगाम हो गए। सुनील दत्त असहाय होकर बेटे की इन हरकतों को देखते रहते। नरगिस की बड़ी हसरत थी कि उनका बेटा बड़े परदे पर नजर आए। नरगिस की इस हसरत को पूरा करने के लिए सुनील दत्त जी-जान से जुटे रहते। आखिरकार फिल्म तो पूरी हो गई, लेकिन रिलीज होने से पहले ही नरगिस ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इस घटना का जिक्र संजय दत्त अपने कई इंटरव्यू में कर चुके हैं कि, ‘उन्हें ये मलाल है कि अपनी मां की मौत के समय भी वो उनके साथ होकर भी साथ नहीं थे।’

नरगिस को मुखाग्नि देने से किया था इनकार

नरगिस की मौत के दिन भी संजय दत्त नशे में चूर थे। जहां पूरा दत्त परिवार नरगिस के जाने का मातम मना रहा था, वहीं संजय दत्त ड्रग्स के साथ अपना गम गलत कर रहे थे। नरगिस की जब अर्थी उठी तो संजय दत्त इस कदर नशे में चूर थे कि इस अंतिम यात्रा में शामिल होना भी उनके लिए मुश्किल हो रहा था। उन्हें जैसे-तैसे शमशान तक ले जाया गया। लेकिन जब मुखाग्नि देने की बारी आई तो संजय दत्त ने उठने से ही मना कर दिया। अब सुनील दत्त के सब्र का पैमाना छलक गया। उन्होंने एक के बाद एक कई तमाचे संजय को रसीद दिए और उन्हें घसीटते हुए शव के पास ले गए। इस तरह नरगिस की अंतिम यात्रा पूरी हुई।