नरगिस का इंटरव्यू लेने पहुंचे थे सुनील दत्त, निर्देशक ने बना दिया हीरो

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मुंबई: बॉलीवुड में सुनील दत्त का सफर किसी फेयरी टेल से कम नहीं है। 6 जून, 1929 को पाकिस्तान के नाका खुर्द में जन्मे सुनील दत्त को आजादी के बाद विस्थापन का दर्द झेलना पड़ा। ट्रांजिट कैंप में शरण लेने के बाद सुनील दत्त को जीवनयापन के लिए कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने ना केवल इस संघर्ष पर विजय पाई, बल्कि अपने आप को स्थापित भी किया। आज दत्त साहब का 94वीं बर्थ एनिवर्सरी है। आइये इस मौके पर जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें…

दिलकश आवाज से मिली रेडिओ में नौकरी

सुनील दत्त का बचपन काफी संघर्ष में गुजरा। आर्थिक तंगी ने बड़े होने पर भी उनका पीछा नहीं छोड़ा। घर चलाने के लिए उन्होंने कभी आर्मी में हवलदार की नौकरी की, तो कभी ट्रांसपोर्ट कंपनी में कंडक्टर की मामूली नौकरी की… आगे चलकर सुनील दत्त थिएटर ग्रुप का हिस्सा बने। प्ले में इनकी आवाज से इंप्रेस होकर रेडियो चैनल के हेड ने इन्हें रेडियो में नौकरी दे दी।

 
 
 
 
 
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सुनील दत्त को देखते ही डायरेक्टर ने दिया फिल्म का ऑफर

रेडियो की नौकरी के दौरान दत्त साहब सिनेमा के बड़े सितारों का इंटरव्यू लेने का काम करते थे। इसी क्रम में वो एक बार नरगिस का इंटरव्यू लेने उनकी फिल्म के सेट पर पहुंचे। डायरेक्टर रमेश सहगल ने जब उनकी कद-काठी देखी तो उन्हें उनमें कुछ खास बात लगी। कुछ दिनों बाद सहगल ने उनका स्क्रीन टेस्ट लेकर उन्हें फिल्म ऑफर दे दिया। साल 1955 की फिल्म ‘रेलवे प्लेटफॉर्म’ से सुनील फिल्मों में आए। हालांकि सुनील की यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी।

‘मदर इंडिया’ से बदली किस्मत 

लेकिन इसके बाद बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री नरगिस के साथ सुनील दत्त को फिल्म ‘मदर इंडिया’ में अहम रोल मिला। बस फिर क्या था, इसके बाद सुनील दत्त ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और ‘मदर इंडिया’ सुपरहिट साबित हुई। इस फिल्म ने उनकी किस्मत बदल दी। करियर के साथ उन्हें जीवनसाथी के रूप में नरगिस मिल गई। ‘मदर इंडिया’ के सेट पर ही नरगिस और सुनील करीब आए थे और दोनों ने साल 1959 में शादी कर ली।

 
 
 
 
 
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राजनीति में भी आजमाया हाथ

फिल्मी दुनिया में अपना वर्चस्व फैलाने वाले सुनील दत्त ने अपने जीवन काल में राजनीति में भी अपना दमखम दिखाया। उस समय देश में मनमोहन सरकार के दौरान सुनील दत्त राज्यसभा सांसद भी रहे। इसके अलावा उन्हें इसी सरकार के तहत युवा और खेल विभाग के मंत्री पद का कार्यभार सौंपा गया। इस दौरान सुनील दत्त ने राजनीति में रहकर जरूरतमंदों को काफी मदद की थी।