Dia Mirza
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मुंबई: फिल्म ‘रहना है तेरे दिल में’ (Rehnaa Hai Terre Dil Mein) में रीना (Reena) का किरदार निभाकर लाखों लोगों का दिल धड़काने वाली एक्ट्रेस दीया मिर्जा (Dia Mirza) ने इस फिल्म से देशभर में अपनी पहचान कायम की। बीते 23 वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय दीया निर्देशक अनुभव सिन्हा की फिल्म ‘भीड़’ (Bheed) में एक ऐसी मां के किरदार में में नजर आएंगी जो लॉकडाउन के चलते अपने बच्चे से नहीं मिल पा रही हैं।

दीया ने नवभारत संग हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि लॉकडाउन की स्थिति में शूट हुई इस फिल्म में उनके किरदार की परिस्थिति भी उनके असल जिंदगी जैसी थी क्योंकि शूटिंग के लिए उन्हें अपने बेटे से दूर रहना पड़ा था। पेश है इस बातचीत के कुछ अंश…

करीब 3 वर्षों के बाद आप हिंदी सिनेमा में कमबैक कर रही हैं, इस फिल्म की क्या विशेषताएं थी जिसमें आपको आकर्षित किया?

पहली बात तो ये अनुभव सिन्हा जैसे मंझे हुए निर्देशक के साथ काम करने का ये एक बेहतर अवसर था। वे हमेशा ऐसी कहानियों को पेश करते हैं जिससे लोग दर्शक कनेक्ट करते हैं। एक कलाकार के रूप में हमेशा इस प्रकार की कहानियों से प्रभावित होती हूं जो सच्चाई को प्रदर्शित करे। मैं करीब 23 वर्षों से अनुभव को जानती हूं। मैं हमेशा से उनके साथ काम करना चाहती हूं। पॉलिटिकल सोशल ड्रामा फिल्में कम ही बनती हैं और बेहद कम एशियाई निर्देशक हैं जो इस प्रकार की कहानियों को सही मायने में व्यक्त कर पाते हैं। मैंने उनके साथ ‘थप्पड़’ में काम किया था और तभी ही मैंने उनसे कह दिया था कि मैं उनकी हर प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना चाहती हूं।

आप 23 वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं, अब फिल्में चुनने के आपके मापदंडों में बदलाव आया है? 

मैं हमेशा ऐसी कहानियों पर काम करना चाहती हूं जो मुझे भीतर से छुए। मुझे महिला सशक्तिकरण वाले मुद्दों पर आधारित फिल्मों पर काम करना बेहद पसंद है। ऐसी कहानियां जो हमारे समाज को मजबूत बनाए, मुझे फिल्मों में बड़ी दिलचस्पी होती है। जब मैंने ‘संजू’ में मान्यता दत्त का किरदार निभाया तब मुझे लगा कि ये किरदार बेहद मजबूत है।

 
 
 
 
 
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लॉकडाउन का दौर आपके लिए कितनी चुनौतीपूर्ण रहा है, उस दौरान आपने अपना वक्त किस प्रकार बिताया?

मैं तो बेहद भाग्यशाली थी कि मैं सुरक्षित अपने घर पर थी। मैं अपनी मां के साथ थी और 20 साल के बाद मैंने उनके साथ इतना समय साथ गुजारा। हमारी बिल्डिंग में कई ऐसे लोग थे जिनकी उम्र 80 साल से अधिक थी। उनको खाना पहुंचाना और उनका ख्याल रखना, मैंने इन चीजों के साथ खुद को व्यस्त रखा। कई बार मैं अपने पड़ोस में रह रही एक बूढ़ी महिला के घर जाकर उनका घर साफ करती थी क्योंकि वो ऐसा करने में असमर्थ थी। बाहर हम जो दृश्य देख रहे थे उसने मुझे झकझोर कर रख दिया। दूसरे लॉकडाउन के दौरान मेरे बेटे का जन्म हुआ और वो एनआईसीयू में था जिसके चलते मैं यूज्ड हफ्ते में केवल एक बार देख सकती थी। वो समय बड़ा ही कठिन था। कई लोगों को सम्मानपूर्वक अंतिम विदाई भी नहीं मिली, ये कहना बेहद दुखद था।

आप इंडस्ट्री में रहकर भी कभी यहां की चकाचौंध में खोई नहीं, अपनी सादगी को बरकरार रखा, इसकी कोई अहम वजह?

ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने हमेशा बनावटी नहीं लेकिन असली लोगों के साथ काम किया है। सामाजिक कार्यों से जुड़े रहने के कारण मैं ऐसे लोगों की साथ भी काम करती हूं जो शिक्षा और पर्यावरण सुरक्षा जैसे मुद्दों पर मेहनत कर रहे हैं। इसके जरिए मुझे एहसास हुआ कि मैं लोगों से भिन्न नहीं हूं। जिंदगी जितनी सरल हो उतना ही बेहतर होती है और यही जीवन का सार है। सामाजिक कार्यों से जुड़ी रहने के कारण मैंने जीवन की सच्चाई को भी करीब से समझा और इसी के कारण मैं सेक बेहतरबर्तिद्त भी बन पाई हूं।

‘रहना है तेरे दिल में’ आपकी पहचान है, अगर इस फिल्म का सीक्वल बना तो आप इसके लिये हामी भरेंगी?

जी बिल्कुल, आगे मैडी (आर माधवन का किरदार) और रीना (दीया का किरदार) के साथ क्या हुआ ये तो सभी जानना चाहेंगे। फिलहाल तो रोमांटिक फिल्म का कोई लाइनअप नहीं, लेकिन ऐसा अवसर आया तो इसपर विचार अवश्य करूंगी।