संवेदनशील मुद्दों को समझने का एक कमजोर प्रयास, यामी गौतम की एक्टिंग भर देगी देशभक्ति का जज्बा

Loading

मुंबई: आदित्य सुहास जंभाले निर्देशित ‘Article 370’ कश्मीर ही नहीं बल्कि पूरे भारत से जुड़ा एक इमोशनल मुद्दा था। इसे फिल्मी जामा पहनाते समय मनोरंजन का मोह छोड़ना पड़ता है, लेकिन निर्देशक के दिमाग में शायद तथ्यों को खंगालने की योजना स्पष्ट नहीं थी। इसलिए फिल्म में एक सतहीपन नजर आता है। बहरहाल ‘Article 370’ कश्मीर ही नहीं देश को ये समझाने का प्रयास तो है ही कि उसे हटाना कितना जरूरी था? वहीं ये फिल्म यामी गौतम के लिए शानदार कमबैक है।

कहानी

फिल्म में 2016 के बाद से कश्मीर घाटी में हुई घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमती एक दिलचस्प कहानी दिखाई गई है। फिल्म की कहानी को छह अध्यायों में बांटा गया है, जिनमें से पहला अध्याय एक आतंकवादी संगठन के युवा कमांडर बुरहान वानी की कहानी से शुरू होता है, जो कश्मीर घाटी में काफी लोकप्रिय है। साल 2016 में उसकी हत्या के बाद घाटी में कई विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद पीएमओ हरकत में आए। कहानी फिर उस समय तक पहुंचती है जब केंद्र सरकार संविधान सभा से अपना समर्थन वापस ले लेती है, जिससे राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाता है। हालांकि, क्षेत्र में स्थिति ज्यादा नहीं बदली और साल 2019 में पुलवामा आतंकी हमला हुआ, जिसके बाद केंद्र सरकार हरकत में आई और क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने का फैसला किया। देश के पीएम और गृहमंत्री ने धारा के लिए नासूर साबित हो रहे ‘Article 370’ को ख़त्म कर दिया। फिल्म में दिखाया गया है कि आर्टिकल 370 कैसे हटाया गया और सरकार को किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ा।

एक्टिंग   

फिल्म में यामी गौतम कश्मीरी अंदाज में नजर आ रही हैं। यामी गौतम ने शानदार काम किया है, पूरी फिल्म में उन्होंने अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों में देश भक्ति जगा पाने में कामयाब है। यामी का ये एक्शन मोड आपके मन में एक अलग ही छाप छोड़ेगा।  पीएम के रोल में अरुण गोविल और अमित शाह के रोल में किरण कर्माकर अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे। अरुण गोविल का प्रधानमंत्री वाला किरदार अपने आप में काबिले तारीफ है। साथ ही सहायक भूमिकाओं में प्रियामणि, वैभव तत्ववादी, किरण करमाकर और राज जुत्शी ने भी अच्छा काम किया है। इस फिल्म का हर किरदार अपने आप में अद्भुत है।

डायरेक्शन 

फिल्म आर्टिकल 370 का निर्देशन आदित्य जंभाले ने किया है। लेकिन कहानी कहीं-कहीं कमजोर लग रही है। ये जानी-पहचानी कहानी जरूर है, लेकिन इसके अंदर भी कई ऐसी बातें हैं जो आम लोग नहीं जानते। शायद निर्देशक ने इसपर रिसर्च करना जरूरी भी नहीं समझा। हालांकि यह फिल्म उन लोगों को आर्टिकल 370 से अवगत जरूर कराएगी, जो उस समय के हालातों को जानना चाहते हैं। कुल मिलाकर फिल्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि घटनाएं दर्शकों की दिलचस्पी बनाये रखने में सफल रही। फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और उन घटनाओं को नाटकीयता और मनोरंजन के साथ चित्रित करना निश्चित रूप से सोने पर सुहागा जैसा है। निर्देशक थोड़ी और गंभीरता दिखाते तो अच्छा था।