Strike, Gondia

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गोंदिया. केंद्र सरकार ने देश में कोरोनाकाल परिस्थिति का अनुचित लाभ उठाकर मजदूर व शासकीय, गैरशासकीय कर्मचारी हितों के कानून समाप्त किया है. जिससे मजदूरों और छोटे किसानों में आक्रोश है. सरकार के फैसले से छोटे किसानों को संकट में डालकर बड़ी कम्पनियों को लाभ होगा. उन कम्पनियों को जीवनावश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी करने अधिक अवसर मिलेगा. इसकी व्यवस्था करने वाले कानून पारित किए गए हैं.

कोरोना के कारण लॉकडाउन काल में करोड़ों कामगार व उद्योजक, कारखानों का व्यवसाय बंद होने से आर्थिक संकट बढ़ गया है. विपरीत देश के बड़े कार्पोरेट कम्पनियों के मूल्य खरबों रुपयों से बढ़ गए हैं. सर्व सामान्य जनता के अधिकारों, लोकतंत्र का संरक्षण करने व मोदी सरकार की कर्मचारी विरोधी नीति का विरोध करने के लिए गुरुवार को राज्यभर बंद की घोषणा की गई थी. इसके तहत जिले की कामगार संगठनों के साथ ही राज्य सरकारी मध्यवर्ती कर्मचारी संगठन सहित जिप कर्मचारी महासंघ, ग्रामसेवक संगठनों ने कामबंद आंदोलन किया. जिसकी वजह से शासकीय कार्यालयों का कामकाज ठप पड़ा रहा.

कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

आंदोलन की शुरुआत में 26 नवंबर को मुंबई में शहीद जवानों व नागरिकों को श्रद्धांजलि दी गई. संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया गया. मुख्यमंत्री के नाम जिलाधीश के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया. आंदोलन में राज्य सरकारी कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन के महासचिव व जिला निमंत्रक लीलाधर पाथोडे, राज्य कर्मचारी संगठन के सहसचिव आशीष रामटेके, जिप कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष पी.जी.शहारे, शैलेष बैस, ग्राम सेवक संगठन के जिलाध्यक्ष कमलेश बिसेन, पुरानी पेंशन संगठन के जिलाध्यक्ष राज कडव, शिक्षकेत्तर कर्मचारी संगठन के लिलाधर जसुजा, शिक्षक भारती संगठन के जिलाध्यक्ष प्रकाश ब्राम्हणकर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संगठन के जिला सचिव लीलाधर तिबुडे, विदर्भ पटवारी संघ के अध्यक्ष एम.टी.मल्लेवार, पाटबंधारे संगठन के सचिव चंद्रशेखर वैद्य, किशोर भालेराव, आनंद बोरकर, सुभाष खत्री, अजय खरवडे, संतोष तोमर, संतोष तुरकर, रामा जमईवार, गुणवंत ठाकुर, अनिता बारेवार सहित बड़ी संख्या में  कर्मियों ने सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज किया. 

यह हैं मांगें

आशा, गट प्रवर्तक, आंगनवाड़ी कर्मचारी, पोषण आहार कर्मचारी, ग्रामसेवक सहित अनुबंधित कर्मियों को मिनीमम 21 हजार रुपये वेतन देने, सरकारी कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन लागू करने, रिक्त पदों को तत्काल भरने, बैंक व एलआईसी की निजीकरण रद्द करने, विद्युत बिल कानून 2020 रद्द करने, असंगठित कामगारों को सामाजिक सुरक्षा देने सहित अन्य मांगों का समावेश था. जिलाधीश कार्यालय परिसर में बड़ी संख्या में शासकीय कर्मियों के आंदोलन से भारी गहमागहमी का माहौल था. पुलिस का समुचित बंदोबस्त था.