लौटती बारिश से चिंता, किसानों को सताने लगा फसल के नुकसान भय

Loading

गोंदिया/भंडारा. गोंदिय और भंडारा जिले में पिछले दो तीन दिनों से पुन: बारिश का दौर शुरू हो गया है. बुधवार को दिन भर मौसम साफ था, लेकिन दोपहर 4 बजे मौसम में अचानक परिवर्तन हो गया. जिसके साथ ही बारिश शुरू हो गई. इस दौरान कडाके के साथ बिजली चमक रही थी. वैसे जिले में पिछले 3 दिनों से कहीं न कहीं बारिश हो रही है. आमगांव में भी एक घंटे तक मूसलाधार बारिश हुई है. इसी तरह सड़क अर्जुनी व तिरोड़ा तहसील के कुछ हिस्सों में बारिश हुई है. उल्लेखनीय है कि जिले में हल्की प्रजाति वाली धान की फसल कटाई के लिए तैयार हो गई है, लेकिन अत्याधिक बारिश होने से किसानों को नुकसान होने की संभावना है. भंडारा जिले के लाखनी, साकोली, तुमसर, मोहाड़ी समेत अनेक स्थानों पर बारिश हुई है.

लाखनी में जोरदार बारिश
संपूर्ण लाखनी तहसील में गरज के साथ लौटती बारिश ने जनजीवन ठप कर दिया. बिजली की कड़कड़ाहट के साथ लाखनी तहसील में बारिश जमकर बरसी. लौटती बारिश से किसानों की चिंता बढ़ा दी है. किसानों की फसल निकलने की कगार पर है. धान कटने की हालत में है. ऐसे में बारिश की जोरदार दस्तक ने फिर से चिंता में डाल दिया है. हल्के धान लगाने वाले किसानों पर संकट है. कुछ किसानों धान को काट दिया है. बारिश की वजह से वह धान बर्बाद होने की संभावना है. गत दिनों आयी बारिश से उपजे बाढ़ के हालात ने पहले ही किसानों को परेशानी में डाल दिया था. लाखनी तहसील में झमाझम बारिश ने नुकसान होने का डर सताने लगा है.

निरंतर वर्षा व ठंडी हवाओं से कंपकंपी
काफी समय के बाद बारिश ने अपना असर दिखाया. बारिश के कारण वातावरण में जबरदस्त ठंड निर्माण होकर शीतलहर का वातावरण निर्माण हो गया था. मानसून रिटर्न के इस रूप को देखकर किसान सहमे हुए हैं. पिछले वर्ष का कड़वा अनुभव उन्हें होने से वह प्रार्थना कर रहे हैं कि बारिश पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष उनकी फसल पर कहर न बरपाए. सितंबर के मध्य से ही बारिश का सिलसिला पूरी तरह से थम गया था. गत 2 दिनों से अक्टूबर हिट की स्थिति निर्माण हो गई थी. भीषण गर्मी का अनुभव लोग कर रहे थे. बारिश पूरी तरह से थम गई थी.

फसल को लेकर चिंता
बारिश का आम जनजीवन पर कुछ खास असर नहीं हुआ, किंतु किसान बारिश के अंदाज को देख सहमे हुए हैं. इस समय धान कटाई का काम शुरू हो चुका है. कोरोना के खतरे के बीच किसानों ने कड़ी मेहनत कर फसलें लीं, परंतु ऐन मुंह से निवाला छिन जाने का डर सभी किसानों को सता रहा है.