Bharti Airtel shares rise 10 percent after fourth quarter results
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नयी दिल्ली. दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनी भारती एयरटेल ने संकेत दिया है कि यदि आरक्षित मूल्य ऊंचा रहता है, तो वह 5जी स्पेक्ट्रम के लिए बोली नहीं लगाएगी। भारती एयरटेल के भारत और दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गोपाल विट्टल ने बुधवार को कहा कि दूरसंचार विभाग अगले साल जनवरी से मार्च के बीच स्पेक्ट्रम की नीलामी कर सकता है, लेकिन 5जी स्पेक्ट्रम का आरक्षित मूल्य ऊंचा रखा जाता है, तो एयरटेल इसके लिए बोली नहीं लगाएगी। 

विट्टल ने कहा कि कंपनी स्पेक्ट्रम नीलामी रणनीति पर काम कर रही है। कंपनी इमारतों के अंदर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क में सुधार के लिए 1,000 मेगाहर्ट्ज से कम फ्रीक्वेंसी के स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगा सकती है। उन्होंने कहा कि हमें दूरसंचार विभाग से जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार स्पेक्ट्रम की नीलामी अगले साल के शुरू में हो सकती है। यह अगले साल जनवरी से मार्च के दौरान यह हो सकती है। 

विट्टल ने कहा, ‘‘यदि नीलामी में 5जी स्पेक्ट्रम के लिए आरक्षित मूल्य काफी ऊंचा रखा जाता है, तो हम इसके लिए बोली नहीं लगाएंगे। हम इतना महंगा स्पेक्ट्रम खरीदने की स्थिति में नहीं हैं।” भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 3,300 से 3,600 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए 492 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज के मूल्य की सिफारिश की है। इस बैंड के स्पेक्ट्रम को अभी 5जी सेवाओं के लिए उपयुक्त माना जाता है। 5जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम खरीदने की इच्छुक दूरसंचार कंपनियों को अखिल भारतीय स्तर पर इसके लिए न्यूनतम 9,840 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे, क्योंकि ट्राई ने इसे 20 मेगाहर्ट्ज के ब्लॉक आकार में रखने का सुझाव दिया है। 

इससे पहले भी भारती एयरटेल ने कहा था कि वह ट्राई की सिफारिश वाले मूल्य पर स्पेक्ट्रम के लिए बोली नहीं लगाएगी क्योंकि कंपनियों को इस बैंड में समुचित मात्रा में स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए करीब 50,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।