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नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 ((Agricultural Produce Trade and Agriculture (Promotion and Facilitation) Bill-2020) और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) (Farmers (Empowerment and Protection)) बिल गुरुवार को लोकसभा से पास हो गया. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जहां इस कानून को किसानों की आमदनी बढ़ाने वाला बताया, वहीं विपक्षी दलों ने इन कानूनों को किसान और कृषि के खिलाफ़ बताया है. 

सरकार में सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal)  ने इस कानून का जोरदार विरोध किया. मोदी सरकार में शामिल पार्टी की एक मात्र मंत्री हरसिमरत कौर (Harsimrat Kaur Badal) ने बिल के विरोध में मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया है. 

क्या आप सब कुछ संसद के दायरे में लाएंगे?: कांग्रेस 
चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह (Ravneet Singh) ने सरकार पर ज़ोरदार हमला बोला है. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आई सरकार किसानों को भूल गई है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म दिन है और उनके जन्मदिन के मौके पर किसानों के लिए काला कानून लाया जा रहा है. इससे किसानों को बख्श देना चाहिए.”

बिट्टू ने कहा, “कोरोना वायरस संकट के कारण सबकुछ बंद था और प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने सबको राशन देने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा कि पंजाब के गोदामों से पूरे देशों में अनाज का बड़ा हिस्सा जा रहा है. अगर ये गोदाम खाली हो जाएंगे तो 80 करोड़ लोगों को अनाज कहां से देंगे? उन्होंने कहा, “अगर हम प्रावधानों के बारे में बात करते हैं … यह आपका डोमेन नहीं है, तो आप इससे क्यों निपट रहे हैं? राज्य विधानसभाओं का अस्तित्व क्यों है? क्या आप सब कुछ संसद के दायरे में लाएंगे?.”

बिट्टू ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ आपका सहयोगी शिरोमणि अकाली दल भी आपके खिलाफ बोला. अब तो जाग जाओ.” उन्होंने कहा कि पंजाब, हरियाणा और कई दूसरे राज्यों में किसान सड़कों पर हैं. ऐसा लगता है कि इतना बड़ा बहुमत मिलने से यह सरकार किसानों को भूल गई और ‘किसान विरोधी विधेयक’ लेकर आई है.”

सरकार राष्ट्रपति शक्ति का दुरुपयोग कर रही
विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा में क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी (Revolutionary Socialist Party) के सांसद एन. के. प्रेमचंद्रन (NK Premchandran) ने कहा, “सरकार अध्यादेशों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए COVID महामारी की स्थिति का उपयोग कर रही है, और इस तरह संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत राष्ट्रपति शक्ति का दुरुपयोग कर रही है.” उन्होने कहा, “सरकार से मेरा विनम्र आग्रह है कि बिलों को जांच के लिए स्थायी समिति को भेजा जाए, अन्यथा, यह भारत में कृषक समुदाय के लिए एक और आपदा होगी.”

किसानों की सुरक्षा करने वाला विधेयक: भाजपा 
भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह (BJP MP Virendra Singh) ने लोकसभा में कहा कि सरकार किसानों की सुरक्षा के लिए कानून लेकर आ रही है. उन्होंने कहा, “मैंने यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों के किसानों से बात की थी. सबने कहा कि प्रस्तावित कानून अन्य राज्यों तक उपज के आसान परिवहन की सुविधा प्रदान करेगा. यह सरकार द्वारा लिया गया एक ऐतिहासिक कदम है. बाजार की ताकतें हमेशा मुनाफा ढूंढती हैं, सरकार यह कानून किसानों को उनसे बचाने के लिए ला रही है.”

किसानों को आजादी देने वाला कानून: जगदंबिका पाल
भाजपा के जगदंबिका पाल (Jagdambika Pal) ने कहा कि, “इस सरकार से पहले कभी किसी ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कदम नहीं उठाए.” उन्होंने विपक्ष के कुछ सदस्यों द्वारा इसे ‘काला कानून’ कहे जाने की आलोचना करते हुए कहा कि यह तो किसानों को आजादी देने वाला कानून है.

पाल ने कहा कि, “2006 से 2014 तक की सरकारों ने स्वामीनाथन आयोग (Swaminathan Aayog) की रिपोर्ट को दबाकर रखा लेकिन 2014 में मोदी सरकार ने आते ही किसानों की सुध लेना शुरू कर दिया.” उन्होंने कहा, ‘‘आज प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन है और आज ही यह विधेयक पारित होने जा रहा है. मेरा विश्वास है कि आने वाले दिनों मे किसान इसे किसान सशक्तिकरण दिवस के रूप में मनाएंगे.” 

छोटे किसान को नुकसान: द्रमुक
द्रमुक (DMK) के के. एस. सुंदरम (KS Sundaram) ने कहा कि, “इस विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है. इस विधेयक से छोटे किसानों को नुकसान होगा.”

कृषि विपणन में एकाधिकारवादी करे सरकार: वाईएसआर कांग्रेस
वाईएसआर कांग्रेस (YSR Congress) पार्टी के कृष्ण देवरयालु लवु (Krishna Devarayalu Lavu) ने कहा कि, “हम किसानों को व्यापार और वाणिज्य विधेयक का समर्थन करते हैं. लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि कृषि विपणन में एकाधिकारवादी प्रवृत्ति से बचा जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि राज्यों को एपीएमसी बाजार में नुकसान की भरपाई की जाए.”

किसान विरोधी विधेयक: बसपा
बसपा (BSP) के रितेश पांडे ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वाली सरकार यह ‘‘किसान विरोधी विधेयक” लेकर आई है. अगर कोरोना संकट नहीं होता तो आंदोलनकारी किसान दिल्ली तक पहुंच जाते। उन्होंने कहा कि ये विधेयक और अध्यादेश देश के संघीय ढांचे को भी चुनौती देते हैं। यह भी लगता है कि सरकार विश्व व्यापार संगठन के सामने नतमस्तक हो गई है.”

विधेयक का उद्देश्य अच्छा, समस्या का समाधन उल्लेख नहीं: शिवसेना 
शिवसेना (Shivsena) के अरविंद सावंत (Arvind Sawant) ने कहा कि, “हमें यह देखना होगा कि कैसे छोटे किसानों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है.” सावंत ने कहा कि इस विधेयक में यह स्पष्ट नहीं है कि किसानों की उपज की खरीद कैसे सुनिश्चित होगी. किसानों की कर्जमाफी का क्या होगा, दुर्गम क्षेत्रों में खेती का क्या होगा, इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं है.” उन्होंने कहा कि, “इन विधेयक का उद्देश्य अच्छा है, लेकिन उन्होंने जिन समस्याओं का उल्लेख किया उसका समाधान निकाला जाना चाहिए.”

विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाए: बीजद
बीजद (BJD) के अनुभव मोहंती (Anubhav Mohanti) ने कहा कि, “छोटे किसानों की उत्पादन की क्षमता, कर्ज लेने की सुविधा में इजाफा किया जाना चाहिए.” उन्होंने कहा कि, “इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए क्योंकि यह बहुत जल्दी में लाया गया है.”