नयी दिल्ली. अभी आ रही खबर के अनुसार विपक्ष के हंगामे के बीच कृषि से संबंधित दो बिल राज्यसभा (Rajyasabha) से आज पास हो गये हैं। यह दोनों बिल कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 (Farmers’ and Produce Trade & Commerce (Promotion & Facilitation) Bill, 2020 & Farmers (Empowerment & Protection) Agreement on Price Assurance & Farm Services Bill, 2020) आखिरकार ध्वनि मत से पारित हुए।
Delhi: Union Minister Prakash Javadekar shows a victory sign as he comes out of Rajya Sabha.
RS passed Farmers’ and Produce Trade & Commerce (Promotion & Facilitation) Bill, 2020 & Farmers (Empowerment & Protection) Agreement on Price Assurance & Farm Services Bill, 2020 today. pic.twitter.com/9L0Jp6FmOo
— ANI (@ANI) September 20, 2020
हालाँकि उच्च सदन में बिल के पास होने के दौरान विपक्ष ने खूब हंगामा और बखेड़ा किया । यहाँ तक कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसदों ने जमकर नारेबाजी भी की । इस दौरान TMC के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने रूल बुक को फाड़ा और माइक भी तोड़ डाला।
बताया जा रहा है कि विपक्ष के सांसदों ने हंगामा सदन की कार्यवाही बढ़ाए जाने को लेकर किया था। इतने में कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने उपसभापति से कहा कि समय और न बाध्य जाये , क्योंकि अधिकतर लोग यही चाहते हैं।
बता दें कि राज्यसभा का समय 1:00 बजे तक है, लेकिन केंद्र सरकार यही चाह रही थी कि बिल को आज ही कैसे भी पास करा लिया जाए। विपक्ष के इस हंगामे के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बिल से सम्बंधित प्रश्नों पर जवाब दिया। इस दौरान हंगामा कर रहे सांसदों ने आसन के सामने लगे माइक को भी तोड़ दिया था।
किसने क्या कहा
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का इस विधेयक से फिलहाल कोई भी लेना-देना नहीं है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वैसे ही खरीद हो रही थी और आने वाले समय में भी होगी। इसमें किसी को शंका करने या रखने की जरूरत नहीं है।
नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा कि तह बिल किसानों के जीवन में बड़े क्रांतिकारी बदलाव लेकर आने वाले हैं। अब किसानों को अपनी फसल किसी भी स्थान से किसी भी स्थान पर मनचाही कीमत पर बेचने की पूरी स्वतंत्रता होगी। जो कि एक बड़ा बदलाव होगा।
Despite recommendations of various commissions & experts, Congress never did justice to farmers who found themselves helpless for years. Today, when Congress realised they don’t have support in Rajya Sabha, they resorted to ‘gundagardi’: Union Agriculture Minister Narendra Tomar pic.twitter.com/pem9s2uibi
Opposition parties are anti-farmers. Instead of being part of the process, they tried to obstruct the liberation of farmers. BJP condemns their act: BJP President JP Nadda #AgricultureBills https://t.co/2z6jzfAA5H
— ANI (@ANI) September 20, 2020
— ANI (@ANI) September 20, 2020
कांग्रेस ने किया विरोध: कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने इस पर कहा कि कांग्रेस पार्टी इन बिलों का पूर्ण विरोध करती है। पंजाब और हरियाणा के किसानों का यह मानना है कि यह बिल उनकी आत्मा पर एक बड़ा हमला है। इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वॉरंट पर हस्ताक्षर करने के सामान है। किसान APMC और MSP में बदलाव के खिलाफ हैं।
AAP ने इसे बताया काला क़ानून: आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस पर कहा कि इस बिल के जरिए किसानों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का कार्य सम्पादित किया गया है। यह एक प्रकार का काला कानून है जिसका मैं AAP की तरफ से भारी विरोध करता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि आपने FDI का तो जमकर विरोध किया था लेकिन आज आप खुद ही किसानों को पूंजीपतियों के हाथ में गिरवी रखने जा रहे हैं, देश के किसानों की आत्मा को इस प्रकार से बेचा जा रहा है ।
शिरोमणि अकाली दल भी विरोध में: शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने इस पर कहा कि बिल को पहले सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाना चाहिए । जो भी हितधारक हैं उनको पहले सुना जाना चाहिए । नरेश गुजराल ने इसके साथ ही सरकार को यह चेतावनी भी दे डाली कि सरकार ।किसानों को कमजोर तो बिलकुल न समझे।
YSRकांग्रेस और JDUआये सरकार और कृषि विधेयक के समर्थन में :
YSR कांग्रेस के सांसद विजयसाई रेड्डी ने संसद में कहा कि पूर्व की सरकार मिडलमैन का जम कर समर्थन करती थी। किसानों को अपने उत्पाद को लाइसेंस प्राप्त बिचौलियों और उनके कार्टेल को बेचने के लिए ही बहुत मजबूर होना पड़ता था । उनका यह बोलना था और कांग्रेस के सांसदों ने इस पर भारी हंगामा किया। कांग्रेस के सांसद आनंद शर्मा ने तो इसे शर्मनाक भी करार दिया।
वहीं, JDU ने भी उक्त कृषि विधेयक का समर्थन किया है। पार्टी के सांसद रामचंद्र सिंह ने कहा कि बिहार 2006 में अप्मक अधिनियम से हटने वाला अकेला पहला राज्य था। तब से कृषि उत्पादन और खरीद MSP के साथ बढ़ी भी है।
शिवसेना ने कहा कि बिल को लेकर देश में है भ्रम कि स्तिथि: शिवसेना के सांसद संजय राउत इस पर कहा कि देश में 70 फीसदी लोग आज भी खेती से जुड़े हुआ हैं। पूरे लॉकडाउन में एक किसान ही काम रहे थे। सरकार अब क्या कोई भरोसा दे सकती है कि बिल के पास होने के बाद किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और आगे से हमारे देश में कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा।
उनका यह भी कहना था कि अगर यह बिल इतना ही किसान विरोधी है तो पूरे देश में एक साथ इसपर विरोध क्यों नहीं हो रहा है? अगर पूरे देश में इस पर विरोध नहीं हो रहा है तो इसका तह मतलब जरुर है कि है कि बिल को लेकर भ्रम है।पहले सरकार को इसे दूर करना चाहिए। संजय राउत ने आगे कहा कि PM मोदी ने बताया था कि बिल को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है, ऐसे में हम पूछना चाहते हैं कि काया सिर्फ ऐसी कोरी अफवाह पर ही एक मंत्री ने अपना इस्तीफा दे दिया है । उनका कहना था कि सरकार इस भ्रम को अहले दूर करे।