कई और ‘राजीव शर्मा’ हो सकते हैं यहां !

Loading

नयी दिल्ली.  दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की स्पेशल सेल ने बीते शनिवार को एक वरिष्ठ पत्रकार राजीव शर्मा (Rajeev Sharma) को चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।  बताया जा रहा है कि दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में रहने वाले शर्मा के घर से एक लैपटॉप, और भारतीय रक्षा विभाग से जुड़े कई अहम् गोपनीय दस्तावेज मिले हैं। 

वहीं पत्रकार  राजीव शर्मा से पूछताछ के बाद एक चीनी महिला किंग शी और नेपाली नागरिक शेर सिंह को भी गिरफ्त में लिया गया है जो इसके साथी बताये जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि ये दोनों ही राजीव शर्मा के भेदिये हैं और दोनों गोपनीय दस्तावेज के बदले में राजीव शर्मा को हवाला के जरिए भारी-भरकम रकम भेजते थे। अब चीनी खुफिया एजेंसी को संवेदनशील जानकारी देने के लिए आधिकारिक राज अधिनियम (Official Secrets Act) के तहत राजीव शर्मा दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में है ।   

आइये जानते हैं फ्रीलांसर  पत्रकार राजीव शर्मा के बारे में 

संजीव कुमार यादव, डीसीपी, स्पेशल सेल दिल्ली पुलिस के मुताबिक पत्रकार राजीव शर्मा 2016 से 2018 तक चीनी खुफिया अधिकारियों को संवेदनशील रक्षा और रणनीतिक जानकारी देने में शामिल था और वह विभिन्न देशों में कई स्थानों पर उनसे मिलता भी रहता था। राजीव शर्मा चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स (चीनी मुखपत्र), द क्विंट, द ट्रिब्यून और फ्री प्रेस जर्नल में भी लिखता था। यही नहीं शर्मा  लगभग दो दशक से रक्षा और विदेशी मामलों की कवरेज भी कर रहा था।

अब अगर हम इस व्यक्ति की प्रोफाइल पर गौर करें तो पाएंगे कि राजीव शर्मा उन पत्रकारों की श्रेणी में शामिल हैं, जिन्होंने भारतीय मीडिया की स्थिति को हमेशा ही दयनीय बताया, जिसका प्रमुख कारण भारतीय मीडिया का एक प्रहरी होने के बजाय सरकार का लैपडॉग बनना है। लेकिन यह भी प्रासंगिक है कि अब ऐसा पत्रकार एक दुश्मन देश के लिए अपने देश की ही  संवेदनशील रक्षा और रणनीतिक जानकारी लीक करता हुआ एक  भेदी बनता है।

rajev-sharma

‘Trunicle’ में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक एक बात यह भी सामने आ रही है कि राजीव शर्मा ‘द क्विंट’ पोर्टल के लिए लिखते थे जिसमे कभी शरजील इमाम (Sharjeel Imam) भी लिखा करता था। अब यह शर्जील इमाम वही है, जिसने भारत को सबक सिखाने के लिए असम को भारत से काट देने की धमकी दी थी। तो क्या यह माना जाए कि ‘द क्विंट’ के ही पत्रकारों को गंभीर आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है।

मुद्दा इससे भी बड़ा है, और वह यह है कि इस घटना से एक इशारा यह मिल रहा है कि क्या चीन ने भारतीय सरकार के खिलाफ अभियान चलाने के लिए भारतीय मीडिया के एक हिस्से को पैसे दे रहा है? क्या इसीलिए जब भी केंद्र सरकार राष्ट्रहित में कुछ निर्णय लेती है तो इन भारतीय मीडिया के पत्रकार चीन का समर्थन करने लगते हैं।

देखा जाए तो चीन न केवल अपने घरेलू मीडिया जैसे कि ग्लोबल टाइम्स, चाइना डेली को नियंत्रित करता है, जो कि उनके प्रचार उपकरण के अलावा और कुछ नहीं हैं, बल्कि अमेरिका में भी विदेशी मीडिया को नियंत्रित करता है। वहीं अब 2016 से 2018 तक चीनी खुफिया अधिकारियों के लिए संवेदनशील रक्षा और रणनीतिक जानकारी पास करने वाले पत्रकार राजीव शर्मा के बारे में चौंकाने वाले खुलासे ने भारतीय प्राधिकरण और भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए भारतीय मीडिया के साथ चीन की सांठगांठ की गहराई से जांच करने का कारण बन गया है।

गौरतलब है कि, बीते जुलाई में, डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) ने भारत सरकार से ऑनलाइन समाचार क्षेत्र पर कड़ी नज़र रखने और चीन या उसके निवेशकों द्वारा निवेश किए गए भारत में सभी समाचार ऐप और समाचार प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया था, क्योंकि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण था कि कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी चीनी  उपयोगकर्ताओं तक नहीं पहुंचनी चाहिए जिससे बाद में भारत को नुकसान हो ।

यह भी देखा जाना चाहिए कि राजीव शर्मा और शरजील इमाम जैसे पत्रकार, भारत सरकार की नीतियों, जो चीन के हित के खिलाफ थे को कोसने वाले ऐसे कई समाचार पोर्टलों के लिए लिखते थे।क्या कहीं ऐसा तो नहीं कि चीन ने अपने निवेश के माध्यम से भारत में  ऐसे कुछ समाचार पोर्टलों के साथ किसी प्रकार कि कोई सांठगांठ की है। जिससे कि अब भारत की सुरक्षा और संप्रभुता पर सवाल उठ रहा है जिसमें राजीव शर्मा जैसे पत्रकारों का हाथ है। अब तो यह भी पता करना अनिवार्य हो गया है कि ऐसे कितने शरजील इमाम और राजीव शर्मा जैसे लोग हैं जो भारत में रहकर चीन के छिपे हुए एजेंडे पर काम करते हुए भारत कि नींव कुतर रहे हैं।