‘चायवाले’ का कमाल, 8000 की लागत से लगाई चाय की टपरी और 4 साल में बन गया करोड़पति

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    अहमदाबाद : हमारे देश में चाय की एक अलग ही अहमियत है। किसी को चाय सुकून देती है, तो किसी की थकान भगाती है। कई लोग चाय की टपरी लगाकर अपना गुजर बसर करते है। भारत में कई ऐसे चाय सेंटर है, जो की उनके नाम एक ब्रांड बन चुके है। जहां तक हमें पता है। चाय की टपरी वाला रोजाना ज्यादा से ज्यादा 1 से 2 हजार कमाता होगा। लेकिन आज हम जिसके बारें में आपको बताने जा रहे है वो चायवाला हजारों नहीं बल्कि करोड़ों कमा चूका है। तो चलिए जानते है, इस करोड़पति चाय वाले की पूरी कहानी क्या है…… 

    संघर्षों से लढ़कर किया मुकाम हासिल 

    जीस करोड़पति चाय वाले की हम बात कर रहे है, वो अहमदाबाद के प्रफुल्ल बिल्लौरे है। धरती पर कुछ लोग नया कारनामा या कुछ खास करने के लिए पैदा होते है। उन्हीं में से एक है प्रफुल्ल। भला किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा की चाय बेचकर कोई करोड़ों रुपये कमा सकता है। लेकिन प्रफुल्ल हर एक छोटा-मोटा उद्योग करने वालों के लिए आदर्श साबित हुए है। प्रफुल्ल की कहानी संघर्षों से भरी हुई है। करोड़ों रुपये कमाना इतना आसान नहीं था मुश्किलों भरा सफर तय करने के बाद ही सफलता मिलती है। कॉलेज में फेल होने के बाद प्रफुल्ल ने पढ़ाई छोड़कर चाय बेचना शुरू कर दिया। और चाय बी ऐसी बेचीं की पूरा देश उसे चायवाले के नाम से जानने लगे। जहां इंसान पूरी जिंदगी कमाकर लाखों नहीं कमा सकता वहीं प्रफुल्ल ने केवल 4 सालों में अपनी 3 करोड़ की कंपनी बना ली है। 

    निराशा से सफलता तक का सफर 

    हमारे बड़े बुजुर्ग कहते है पढोगे- लिखोगे नहीं तो अपने पैरों पर कैसे खड़े रहोगे। लेकिन इस सोच को सीधे से बदलने वाले प्रफुल्ल है। सबका कुछ ना कुछ  सपना होता है। वैसे ही प्रफुल्ल चाहते थे कि वे एमबीए करें।  इसके लिए उन्होंने आईआईएम जैसे अच्छे संस्थान में एडमिशन हो, इसके लिए कैट का एग्जाम भी दिया, लेकिन फेल हो गए. प्रफुल्ल कैट की परीक्षा में तो फेल हुए थे, लेकिन जिंदगी की परीक्षा में नहीं! कैट की परीक्षा में लगातार फेल होने के कारण वे निराश रहने लगे थे। कुछ हफ्ते के लिए तो उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया था। काफी दिनों तक परेशान रहे। आखिरकार उन्हें अहमदाबाद में पिज्जा की एक दुकान में 37 रुपये प्रति घंटे की नौकरी मिल गई। काम था, डिलीवरी बॉय का। 

    कुछ अलग करने की चाह

    अपना नाम वही करता है। जो खुद की अलग सोच रखता है। मंजिल हासिल करने के लिए खुद पर विश्वास करना यही एक सबसे बेहतर मूलमंत्र है।डिलीवरी बॉय का काम करते हुए उनका प्रमोशन भी हुआ लेकिन उन्हें कुछ अलग करना था, कुछ अपना करना था। ऐसे में उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा।  लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। कम पूंजी में बिजनेस करने की चाहत में उनको चाय की दुकान का आइडिया आया। अपने पैरेंट्स से 8,000 रुपये लिए और अहमदाबाद के एसजी हाईवे पर चाय का ठेला लगाना शुरू कर दिया।

     

    काम का अनोखा तरीका 

     लोगों की नजरों में छाना है, तो आम चिजों से कुछ अलग और अनोखा करना पड़ता है। और प्रफुल्ल ने अपनी अलग छाप छोड़ने के लिए व्ही किया जो आम नहीं था। वेबसाइट Money9 की रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआत में चाय का ठेला नहीं चला। ऐसे में उन्होंने फैसला किया कि चाय पीने के लिए लोग उनके पास आएं या न आएं, वे ही अपनी चाय को लोगों तक पहुंचाएंगे। वह बताते हैं कि जब वह चाय लेकर लोगों के पास जाते और उनसे इंग्लिश में बात करते तो लोग हैरान रह जाते। इस तरह धीरे धीरे प्रफुल्ल के ग्राहक बढ़ते चले गए और उनका कमाई हर महीने हजारों में पहुंच गई।

    जानें क्या है MBA चायवाला

    लोगों के इंटरटेनमेंट के लिए प्रफुल्ल अपनी चाय की टपरी पर ही ओपन माइक लगवा देते थे। वेलेंटाइन डे पर उन्होंने सिंगल लोगों को फ्री में चाय दी। ये स्टोरी काफी वायरल हुई थी इसके बाद वह शादियों में चाय की स्टॉल लगाने लगे। ‘MBA चायवाला’ नाम के पीछे की कहानी के बारे में प्रफुल्ल बताते हैं कि उन्होंने अपने टी स्टॉल का नाम ‘मिस्टर बिलौरे अहमदाबाद चायवाला’ रखा था, जिसे शॉर्ट में MBA चायवाला कहा जाने लगा और इस तरह वे फेमस होते चले गए।

    प्रफुल्ल ने ली ये सिख

    जो इंसान जीवन के सफर में जीते हुए चीजों को समझने की क्षमता रखता है कुछ सीखने की चाह रखता है वो एक दिन जरूर सफल होता है। प्रफुल्ल के लिए अपना मुकाम हासिल करना आसान नहीं था। अपने स्ट्रगल के बारे में वे बताते हैं कि जब उन्होंने चाय का ठेला शुरू किया तो घरवालों, दोस्तो ने बहुत सुनाया। कई बार नगर निगम की टीम चाय का ठेला उठाकर चली गई. कई बार गुंडों ने भी धमकाया। वे बताते हैं कि लोग उसे नीचा दिखाने के ख्याल से चायवाला बोलते थे, उन्हें इज्जत नहीं मिलती थी। लेकिन आज यही उनकी पहचान है। उन्होंने सीख ली कि बिजनेस करना हो तो किसी की बात मत सुनो, आपको ठीक लगे वो करो. कोई आपकी मदद करने आगे नहीं आएगा। आपको खुद अपनी मदद करनी है। 

    प्रफुल्ल रखते है  ये सोच

    प्रफुल्ल का आइडिया काफी फेमस हो चुका है। लोग उनकी फ्रेंचाइजी लेने के लिए तैयार रहते हैं। पूरे देश में उनकी कुल 11 फ्रेंचाइजी है। मोटिवेशनल स्पीकर है और कई कॉलेजों में लेक्चर भी दे चुके हैं। प्रफुल्ल सिर्फ चाय की फ्रेंचाइजी से ही नहीं कमाते, वह शादियों में भी चाय बनाने जाते हैं और एक दिन के 50 हजार चार्ज करते हैं। यही नहीं वे क्रिप्टोकरेंसी और शेयर बाजार में भी इन्वेस्ट करते हैं। प्रफुल्ल का एक सपना है। वे चाहते हैं कि हार्ट, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित करीब 100 लोगों के लिए वे 1 से लेकर 10 लाख रुपये तक का फंड जुटाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने चाय मैराथन का आयोजन करने की ठानी है।