Himanta Vishwa Sarma
PHOTO- ANI

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नई दिल्ली : असम (Assam) से मिली बड़ी खबर के अनुसार, यहां की ‘हिमंत’ सरकार ने राज्य में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 (Muslim Marriage & Divorce Act) को खत्म कर दिया है। यह निर्णय बीते शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (CM Himant Biswa Sarma) की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इस मुस्लिम एक्ट के खत्म होने के बाद राज्य में सभी शादियां स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत की जाएंगी। राज्य मंत्री जयंत मल्लबारुआ ने इसे यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) की दिशा में एक बड़ा स्टेप बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि, इससे राज्य में हो रहे बाल विवाह भी रुकेंगे। 

मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट के हटने से क्या होगा 

इसके साफ़ माने यह हुए कि, मुस्लिम विवाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर और अब डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार द्वारा किया जाएगा। जो इस डिवोर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत काम कर रहे थे, उन्हें हटा दिया जाएगा और इसके बदले उन सभी को एकमुश्त दो-दो लाख रुपए का मुआवजा भी दिया जाएगा। इस बाबत राज्यमंत्री मल्लाबरुआ के अनुसार, असम अब समान नागरिक संहिता की ओर बढ़ रहा है। इसी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। अब असम में कोई भी मुस्लिम विवाह या तलाक रजिस्टर में नहीं किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि, हमारे पास एक स्पेशल मैरिज एक्ट है, इसलिए हम चाहते हैं कि सभी मामले उस एक्ट के माध्यम से सुलझाएं जाएं।

AIUDF की आपत्ति

इस मुद्दे पर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के चीफ मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने राज्य सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि बहुविवाह केवल मुसलमानों में नहीं है, बल्कि अन्य समुदाय में भी है। केवल मुसलमानों को टारगेट करना सही नहीं है

UCC लागू करने वाला पहला राज्य उत्तराखंड

गौरतलब है कि, उत्तराखंड विधानसभा में बीते बुधवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC बिल ध्वनि मत से पास हो गया था। इसी के साथ UCC बिल पास करने वाला उत्तराखंड आजाद भारत का पहला राज्य बना है। वहीं CM धामी ने 6 फरवरी को विधानसभा में यह बिल पेश किया था। बिल पास होने के बाद अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल की मुहर लगते ही यह बिल कानून बन जाएगा और फिर राज्य में सभी को समान अधिकार मिलेंगे।