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नई दिल्ली: ओडिशा के बालासोर में दो जून को हुए भीषण रेल हादसे ने न केवल अपनों को खोने वालों तथा इसमें घायल हुए लोगों को कभी न भरने वाले घाव दिए हैं बल्कि इसकी विभीषिका ने एनडीआरएफ के बचावकर्मियों को भी मानसिक रूप से प्रभावित किया है।    राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक अतुल करवाल ने मंगलवार को बताया कि ट्रेन दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान में तैनात बल का एक कर्मी जब भी कहीं पानी देखता है तो उसे वह खून नजर आता है जबकि एक अन्य बचावकर्मी को अब भूख ही नहीं लग रही है।

बालासोर में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने के बाद बचाव अभियान के लिए एनडीआरएफ के नौ दलों को तैनात किया गया था। भारत के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में करीब 278 लोगों की मौत हो गयी तथा 900 से अधिक लोग घायल हो गए। बचाव अभियान समाप्त होने तथा पटरियों की मरम्मत के बाद इस मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू कर दी गई है लेकिन कई पीड़ितों का दावा है कि उनके अपनों का पता नहीं चल पा रहा है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बल ने 44 पीड़ितों को बचाया और घटनास्थल से 121 शव बरामद किए। करवाल ने कहा, ‘‘मैं बालासोर ट्रेन हादसे के बाद बचाव अभियान में शामिल अपने कर्मियों से मिला… एक कर्मी ने मुझे बताया कि वह जब भी पानी देखता है तो उसे वह खून की तरह लगता है। एक अन्य बचावकर्मी ने बताया कि इस बचाव अभियान के बाद उसे भूख लगना बंद हो गयी है।” यहां विज्ञान भवन में एनडीआरएफ द्वारा आयोजित आपदा प्रतिक्रिया के लिए क्षमता निर्माण पर वार्षिक सम्मेलन, 2023 को संबोधित करते हुए करवाल ने कहा कि हादसा इतना भीषण था कि बोगियां क्षतिग्रस्त हो गयी जिससे कई शव उनके अंदर फंसे रह गए।

हाल में दुर्घटनास्थल का दौरा करने वाले एनडीआरएफ के महानिदेशक ने कहा कि अपने कुछ कर्मियों की इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बल ने अपने कर्मियों के बचाव एवं राहत अभियान से लौटने पर उनके लिए मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग और मानसिक स्थिरता पाठ्यक्रम शुरू किया है।  उन्होंने कहा, ‘‘अच्छी मानसिक सेहत के वास्ते ऐसी काउंसलिंग हमारे उन कर्मियों के लिए करायी जा रही है जो आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव एवं राहत अभियानों में शामिल होते हैं।”

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे कर्मियों को मानसिक तथा शारीरिक रूप से फिट रहने की जरूरत है इसलिए विभिन्न शारीरिक तथा मानिसक फिटनेस कार्यक्रम शामिल किए गए हैं। बचावकर्ताओं की अच्छी मानसिक सेहत के लिए काउंसलिंग सत्र आयोजित कराए जा रहे हैं।” करवाल ने बताया कि हाल में तुर्किये में भूकंप के बाद वहां राहत अभियान से लौटने बचावकर्ताओं के लिए भी ऐसे सत्र आयोजित किए गए थे।  उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ नियमित काउंसलर की भर्ती करने की प्रक्रिया में भी है।

करवाल ने कहा कि पिछले साल से अब तक इस संबंध में कराए विशेष अभ्यास के बाद तकरीबन 18,000 कर्मियों में से 95 प्रतिशत कर्मी ‘फिट’ पाए गए। देशभर में डूबने से होने वाली मौत की घटनाओं से निपटने के बारे में एनडीआरएफ के महानिदेशक ने कहा कि बल ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा मौत पर उपलब्ध कराए आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद एक ‘‘हीट मैप” तैयार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें एनसीआरबी ने बताया कि भारत में डूबने के कारण हर साल औसतन करीब 36,000 लोगों की जान चली जाती है और इन घटनाओं में से करीब दो तिहाई ज्यादातर नहाने के लिए निर्धारित ‘घाटों’ पर हुई।”

करवाल ने कहा, ‘‘हम अब इन मौतों को रोकने के लिए कदम उठाने पर काम कर रहे हैं।” सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार आपदाओं से निपटने तथा पूर्व चेतावनी विषय पर अति सक्रिय है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्ष में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने यह सुनिश्चित किया है कि न केवल देश में बल्कि जब हमारे बचावकर्ताओं को विदेश भेजा जाता है तो उन्हें सभी प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए उचित नीति, योजना, संसाधन और प्रशिक्षण उपलब्ध हो।  उन्होंने बालासोर ट्रेन दुर्घटनास्थल तथा तुर्किये में एनडीआरएफ द्वारा किए कार्यों की प्रशंसा की। (एजेंसी)