नई दिल्ली : बिलकिस बानो गैंग रेप केस (Bilkis Bano Gang Rape Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद सभी दोषियों को वापस जेल भेजने का आदेश दिया गया है। अब इस मामले में गुजरात सरकार अपने आदेश के खिलाफ जल्द ही इन लोगों को गिरफ्तार करने की कोशिश करेगी, लेकिन यह आसान काम नहीं होगा, क्योंकि सभी दोषी अपने-अपने घरों में शायद ही मिलें। मीडिया की टीम फैसले के बाद जब कुछ दोषियों के घर पर गयी तो वे वहां नहीं थे। हालांकि गुजरात पुलिस ने सतर्कता बनाते हुए उनके घरों पर पुलिस का पहरा लगा दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सभी दोषी पिछले दो सप्ताह के अंदर जेल भेजने का निर्देश दिया गया है, लेकिन दोषियों के बारे में बताया जा रहा है कि वह कई दिनों से अपने घरों पर नहीं हैं। कुछ लोगों के घरों में ताले लगे हैं, तो कुछ लोगों के घरों पर उनके परिजन हैं, लेकिन वे दोषियों के बारे में कोई भी जानकारी देने में असमर्थ हैं। उनको बिना बताए दोषी कहां चले गए हैं, उनके बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है।
गुजरात के रंधिकपुर और सिंगवाड गांव में अधिकांश दोषी रहते थे। लेकिन अब उनके घरों पर ताले लटके हुए हैं और वहां पर एक पुलिसकर्मी पहरा देने के लिए तैनात कर दिया गया है। बिलकिस बानो के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 11 दोषियों को जेल जाना है। उनमें से 8 तो इस इन्हीं दोनों गांवों के रहने वाले हैं, लेकिन फिलहाल वे सभी लोग लापता बताए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया के कुछ लोग उन गांव में गए तो कोई भी दोषी अपने घर पर नहीं मिला। उनके रिश्तेदार में भी इस बात को लेकर अनजान हैं कि सभी लोग कहां रहते हैं और क्या करते हैं। वहीं कुछ लोगों के परिजन अपने लोगों को बचाने के लिए कानूनी राय ले रहे हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस सरकार ने बेवजह मामले में उनके लोगों को फंसाया है।
इस मामले में दोषी 55 वर्षीय गोविंद नाई के 87 वर्षीय पिता अखामभाई चतुरभाई रावल कहते हैं कि उनका बेटा निर्दोष है। उन्होंने सजा के लिए कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक प्रतिशोध की कहानी को दोषी ठहराया है। रावल ने बताया कि उनका बेटा गोविंद एक सप्ताह पहले ही घर से बाहर निकल गया है। रावल ने बताया कि उनका बेटा गोविंद 6 जनवरी को ही घर से बाहर निकल गया था, तब से वह घर नहीं लौटा है।
इसके अलावा अखामभाई चतुरभाई रावल के एक और भाई जसवंत नाई भी इस मामले में दोषी हैं। वह भी घर पर नहीं हैं। इसी गांव के रहने वाले एक अन्य दोषी राधेश्याम शाह पिछले 15 महीने से अपने घर पर नहीं हैं। उनके पिता भगवान दास शाह कहते हैं कि उनका बेटा कहां है, उनको नहीं मालूम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पड़ोसी और गांव के लोग भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि राधेश्याम शाह कई महीनों से घर नहीं आया है। किसी को नहीं पता है कि राधेश्याम फिलहाल कहां चला गया है। वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ कहीं चला गया है।
हालांकि इस मामले पर उनके भाई आशीष शाह कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार करते हैं और कहते हैं कि कोर्ट का फैसला आया है। अब हम लोग भी देखेंगे कि आखिरकार इस मामले पर आगे क्या करना है। हमने भी अपने वकीलों से बात की है। जैसी वे सलाह देंगे वैसे ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।
आपको याद होगा कि वह गुजरात के गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना के तुरंत बाद बिलकिस बानो और उनके परिवार में 28 फरवरी 2002 को रणधीकपुर में अपना घर छोड़ दिया था। इसके बाद 3 मार्च 2002 को दाहोद के लिमखेड़ा तालुका में भीड़ ने उनके साथ सामूहिक रूप से बलात्कार किया था। इस दौरान उनकी 3 साल की बेटी सहित परिवार के 14 सदस्यों की हत्या कर दी थी। हालांकि 6 लोगों के शव अभी तक नहीं मिले हैं। 21 जनवरी 2008 को इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में गुजरात सरकार ने रद्द कर दिया था।