पटना. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर पलटवार करते हुए दावा किया कि जहरीली शराब पीने से मौत के मामलों में भाजपा शासित राज्यों का रिकॉर्ड सबसे खराब है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता ने विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए दावा किया कि जहरीली शराब से मौत के मामले में मध्य प्रदेश और कर्नाटक शीर्ष पर हैं जबकि शराबबंदी वाले राज्य गुजरात के हालात बिहार से बदतर हैं।
गौरतलब है कि सारण जिले में कथित रूप से जहरीली शराब पीने से 26 लोगों की मौत को लेकर बिहार सुर्खियों में है। उन्होंने कहा, “ मैं केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय की ओर से 19 जुलाई को संसद में दिए गए बयान को पढ़ रहा हूं जो संयोगवश बिहार के रहने वाले हैं…”
Where was the BJP 4 months back when liquor was being found in the houses of relatives of one of their ministers?: Bihar Deputy CM Tejashwi Yadav, in Patna on Chapra hooch tragedy and BJP's protest over it pic.twitter.com/ZSFBdPCEKy
— ANI (@ANI) December 15, 2022
यादव ने कहा, “ केंद्रीय राज्य मंत्री ने सांसद दानिश अली के सवाल के जवाब में बयान दिया था। अली ने पूछा था कि जहरीली शराब पीने से कितने लोगों की मौत हुई है। मंत्री ने एनसीआरबी के आंकड़ों के हवाले से बताया था कि 2016 से 2020 के बीच जहरीली शराब पीने से मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 1214 लोगों की मौत हुई जिसके बाद कर्नाटक में 909 लोगों की जान गई। ये दोनों राज्य भाजपा शासित हैं।”
उन्होंने कहा कि भाजपा शासित अन्य राज्य हरियाणा है जो जहरीली शराब पीने में मौत के मामले पर चौथे स्थान पर है। उनके मुताबिक, गुजरात में भी शराब की बिक्री पर रोक है, लेकिन इस दौरान वहां पर 50 लोगों की मौत हुई जबकि बिहार में यह संख्या सिर्फ 21 थी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, “ भाजपा के विधायक सारण की घटना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफा मांग रहे हैं। क्या वे इसी तरह की मांग अपनी पार्टी के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों से करेंगे।?” राजद नेता ने यह भी कहा कि भाजपा को बिहार में शराब बंदी के उल्लंघन का मुद्दा उठाने का कोई अधिकार नहीं है और कहा कि उन्होंने पूर्व मंत्री राम सूरत राय के भाई की शराब के व्यापार में कथित संलिप्तता का मुद्दा उठाया था जब वह विपक्ष में थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘जो पियेगा वो मरेगा’ टिप्पणी की आलोचनाओं के बीच यादव इसे महत्व नहीं देते दिखे।
यादव ने कहा, “मुख्यमंत्री जो कह रहे हैं वह यह है कि एक गलत काम के अवांछित परिणाम होते हैं। जहरीली शराब से होने वाली मौतों को शराबबंदी से जोड़ना भी उचित नहीं है। हमें इस तथ्य को नहीं भूलना चाहिए कि जिन राज्यों में शराब पर प्रतिबंध नहीं है, वहां भी जहरीली शराब से मौत की घटनाएं होती हैं।”
जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत के मद्देनजर शराबबंदी कानून की “समीक्षा” की मांगों के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा, “इस तरह के विचार रखने वाले सभी लोग इस मामले को सदन के अंदर उठाएं। एक विधायी मामले पर सड़कों पर बहस नहीं की जा सकती है ।” उन्होंने कहा, “ भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों में अपनी संभावनाओं को लेकर सतर्क है। इसके पास देने के लिए बहुत कम है, इसलिए यह हर तरह के नाटक में लिप्त है।” (एजेंसी)