Election Commission rejects Jairam Ramesh's concerns on VVPAT

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नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने वीवीपैट पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) की चिंताओं को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि इसके माध्यम से ‘‘ऐसा कोई नया दावा या उचित एवं वैध संदेह नहीं उठाया है जिसके लिए और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।” आयोग ने साथ ही कहा कि पेपर पर्चियों संबंधी नियम कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2013 में पेश किए गए थे। 

आयोग ने दिया जवाब 

रमेश को भेजे पत्र में आयोग ने “चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल पर पूरा भरोसा” जताया और यह स्पष्ट किया कि नवीनतम अद्यतन किए गए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) भारतीय चुनावों में ईवीएम के उपयोग पर सभी उचित और वैध पहलुओं का “पर्याप्त और व्यापक रूप से” जवाब देते हैं। निर्वाचन आयोग में प्रधान सचिव प्रमोद कुमार शर्मा द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है, ‘‘वीवीपैट के संचालन और पेपर पर्चियों से संबंधित चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49ए और 49एम को आईएनसी (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) द्वारा 14 अगस्त, 2013 को पेश किया गया था।”

कांग्रेस ने क्या कहा था

रमेश ने पिछले साल 30 दिसंबर को निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) के एक प्रतिनिधिमंडल को वीवीपैट पर्चियों पर अपने विचार रखने के लिए समय दिया जाए। विपक्षी गठबंधन ने 19 दिसंबर को एक बैठक में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की कार्यप्रणाली की शुचिता के बारे में संदेह व्यक्त किया था और मांग की थी कि वीवीपैट पर्चियां मतदाताओं को सौंपी जाएं, जो इसे एक अलग बॉक्स में डाल सकें। विपक्षी गठबंधन ने पर्चियों और ईवीएम के 100 फीसदी मिलान की भी मांग की थी।

आयोग को ईवीएम के उपयोग पर पूरा भरोसा

शर्मा ने कहा, “30 दिसंबर, 2023 का हालिया पत्र ईवीएम/वीवीपैट पर कोई अनुत्तरित मुद्दा नहीं उठाता है।” उन्होंने कहा कि 30 दिसंबर, 2023 को लिखे गए पत्र को पहले के पत्रों के क्रम में बताया गया है, ‘‘इसमें कोई नया दावा या उचित एवं वैध संदेह नहीं है जिसके लिए और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।”

आयोग ने चुनावों में ईवीएम के उपयोग के बारे में अन्य देशों और उनके संवैधानिक न्यायालयों के संदर्भों को भी “संदर्भ से बाहर” करार दिया। शर्मा ने कहा, “ईवीएम का उपयोग करके कराये गए चुनावों के नतीजों, कानूनी ढांचे, स्थापित न्यायशास्त्र, तकनीकी सुरक्षा और प्रशासनिक रक्षा उपायों के आधार पर, आयोग को चुनावों में ईवीएम के उपयोग पर पूरा भरोसा है।”

ईवीएम तत्कालीन केंद्र सरकारों द्वारा बनाए…

आयोग ने बताया कि राजनीतिक दल और उम्मीदवार एफएलसी, स्टोरेज, परिवहन, प्रशिक्षण, मॉक पोल, मतदान शुरू होने, मतदान बंद होने और गिनती से लेकर ईवीएम के प्रबंधन के हर चरण में जुड़े होते हैं। आयोग ने कहा कि ईवीएम के सभी पहलुओं जैसे ‘नॉन-टैंपरिंग, नॉन-हैकिंग, माइक्रो कंट्रोलर’, शुरू से अंत तक सत्यापन, कानूनी प्रावधान, गिनती, तकनीकी क्षमता, विनिर्माण और स्रोत कोड को शामिल करने वाले मुद्दों का पहले ही समाधान किया जा चुका है।

आयोग ने कहा, “यह कहा गया है कि भारतीय चुनावों में उपयोग में आने वाली मौजूदा ईवीएम तत्कालीन केंद्र सरकारों द्वारा बनाए और सुदृढ़ किए गए मौजूदा कानूनी ढांचे और भारत के संवैधानिक अदालतों द्वारा 40 वर्षों में विकसित न्यायशास्त्र के अनुरूप हैं।”