
नई दिल्ली: कनाडा के ब्रैम्पटन में खालिस्तानी समर्थकों ने हाल ही में इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाते हुए झांकी निकाली। अब इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आया है। जयशंकर ने कहा कि कनाडा में इस तरह की घटना दोनों देशों के लिए सही नहीं है।
इस घटना के बारे में पूछे जाने विदेश मंत्री ने कहा कि अलगाववादियों और हिंसा के समर्थकों को जगह देना दोनों देशों के रिश्ते और खुद कनाडा के लिए भी अच्छा नहीं है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि एक व्यापक मुद्दा यह है कि अलगाववादियों, चरमपंथियों और उन लोगों को स्थान दिया गया जो हिंसा की पैरोकारी करते हैं। यह आपसी संबंधों और कनाडा के लिए अच्छा नहीं है।”
इससे पहले कांग्रेस ने कनाडा में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाते हुए कथित तौर पर झांकी निकाले जाने की घटना की निंदा करते हुए गुरुवार को कहा कि भारत सरकार को यह मुद्दा कनाडा के समक्ष मजबूती से उठाना चाहिए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर विदेश मंत्री एस जयशंकर से यह आग्रह किया।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, कनाडा के ब्रेम्पटन में खालिस्तान समर्थकों ने हाल ही में इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाते हुए झांकी निकाली। इसका वीडियो साझा करते हुए कांग्रेस नेता मिलिंद देवरा ने ट्वीट किया, ” एक भारतीय के रूप में यह देख कर मुझे पीड़ा हुई कि कनाडा के ब्रेम्पटन में पांच किलोमीटर लंबी परेड निकाली गई जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाया गया। यह किसी का पक्ष लेने की बात नहीं है, बल्कि राष्ट्र के इतिहास और पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या से हुई पीड़ा के सम्मान की बात है।”
As an Indian, I'm appalled by the 5km-long #parade which took place in the city of Brampton, Canada, depicting the assassination of #IndiraGandhi.
It's not about taking sides, it's about respect for a nation's history & the pain caused by its Prime Minister’s assassination.… pic.twitter.com/zLRbTYhRAE
— Milind Deora | मिलिंद देवरा ☮️ (@milinddeora) June 7, 2023
उन्होंने कहा, ”चरमपंथ की सार्वभौमिक रूप से निंदा की जानी चाहिए और इसका मिलकर सामना किया जाना चाहिए।” देवरा के इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए रमेश ने कहा, ” मैं पूरी तरह सहमत हूं। यह घिनौना है। डॉक्टर जयशंकर से आग्रह करता हूं कि कनाडा के समक्ष इस मुद्दे को मजबूती से उठाया जाना चाहिए ।” उल्लेखनीय है कि 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।