Farooq Abdullah

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    श्रीनगर, नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा है कि वह केंद्र-शासित प्रदेश में शांति लौटने की कामना करते हैं, ताकि सभी समुदाय बिना किसी डर के रह सकें। 1990 के दशक में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन से पहले तत्कालीन राज्य में मौजूद सांप्रदायिक सौहार्द को याद करते हुए उन्होंने कहा, “एक समय था, जब हम साथ थे और फिर एक लहर आई और हम अलग हो गए।”

    अब्दुल्ला ने शनिवार को कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़े हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. उपेंद्र कौल की लिखी पुस्तक ‘वेन द हार्ट स्पीक्स-मेमॉयर्स ऑफ ए कार्डियोलॉजिस्ट’ का विमोचन करने के बाद यह बात कही। कार्यक्रम में नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शामिल हुए।

    नेकां अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें यह पुस्तक बहुच दिलचस्प लगी। उन्होंने कहा कि इसमें डॉ. कौल की जीवन यात्रा के साथ ही घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन से पहले मौजूद सांप्रदायिक सौहार्द के बारे में जानकारी दी गई है। अब्दुल्ला ने कहा कि पंडितों के पलायन के समय कश्मीरी मुसलमान मूकदर्शक बने हुए थे, क्योंकि “वे खुद डरे हुए थे।” उन्होंने कहा, “वे संबंध अभी तक बहाल नहीं हुए हैं। कब बहाल होंगे, मुझे नहीं पता। हम उन दिनों के लौटने की प्रार्थना करते हैं, जब हम सभी बिना किसी डर के घाटी में रहते थे।”