File Photo - Social Media
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    त्रिपुरा : त्रिपुरा वन विभाग (ripura Forest Department) ने पशुओं और इंसानों के बीच टकराव की घटनाओं को कम करने के मकसद से हाथियों की गतिविधि पर नज़र रखने के लिए GPS  संचालित रेडियो कॉलर (radio collars) का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। यह जानकारी उप मुख्य वन्यजीव वार्डन केजी रॉय (Deputy Chief Wildlife Warden KG Roy) ने दी है। कर्नाटक के बेंगलुरू (Bengaluru) स्थित कंपनी को हाथियों के गले में रेडियो कॉलर लगाने का जिम्मा सौंपा गया है और काम के इस साल दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद है।

    रॉय ने ने कहा कि रेडियो कॉलर हमें हाथियों की गतिविधि का पता लगाने में मदद करेगा और अगर वे इंसानी बस्तियों के आसपास पाए जाते हैं तो हम उन्हें वापस जंगल में भेजने के उपाय कर सकते हैं। साल 2019 से इंसान और हाथियों के बीच टकराव की कम से कम 50 घटनाएं रिकॉर्ड हुई हैं। उप मुख्य वन्यजीव वार्डन ने कहा कि हमने अबतक ऐसे 30 मामलों का निपटान कर दिया है और अन्य मामलों को भी जल्द निपटा दिया जाएगा

    इससे पहले हाथी और इंसानी टकराव को कम करने के लिए पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों ने भी रेडियो कॉलर का इस्तेमाल किया था। रॉय ने बताया कि राज्य सरकार ने हाथियों के हमलों को रोकने के लिए खेतों में मधुमक्खी पालन परियोजना शुरू की है और जंगलों में बांस तथा केले उगाने के लिए कदम उठाए हैं।(एजेंसी)