नई दिल्ली: जहां 75 वें गणतंत्र दिवस (75th Republic Day Special) को लेकर देश वासियों में भारी उत्साह है। ऐसे में आज इतिहास के पन्नों को जरा खोलकर देखा जाए तो कई रोचक तथ्य सामने आते हैं। दोस्तों, हम पाकिस्तान (Pakistan) से अपने हिस्से का कश्मीर कभी नहीं बांटना चाहते और ना ही देश का और कोई हिस्सा ही अब उन्हें देना चाहते हैं। लेकिन हमारे देश का एक गांव ऐसा भी है जिसे अपना बनाने के लिए भारत ने अपने 12 गांव पाकिस्तान के हवाले कर दिए थे।
दोस्तों, उस गांव का नाम है हुसैनीवाला(Hussainiwala Village) जहां शहीद भगत सिंह (Bhagat Singh), सुख देव (Sukh Dev) और बटुकेश्वर दत्त (Batukeshwar Dutt)का अंतिम संस्कार किया गया था। जानकारी दें कि हुसैनीवाला पाकिस्तान की सीमा के पास सतलज नदी के किनारे स्थित है। इस गांव में वैसे तो पूरे साल ही चहल-पहल रहती है लेकिन स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस और शहीद दिवस के मौके पर यहां का नजारा होता है जिसे देख कर पाकिस्तान बार्डर के सिपाही भी पूरी तरह से हैरान रह जाते हैं। यहां की फिजाओं में राष्ट्र भक्ति और देश प्रेम के रंग देख कर केवल एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित पड़ोसी देश पाकिस्तान आज भी देखता जाता है।
देश के युवाओं के लिए प्रेरणा बना हुसैनीवाला
जन्म्कारी दें की हुसैनीवाला गांव वही जगह है जहां 23 मार्च 1931 को शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का अन्तिम संस्कार हुआ था। यहीं पर उनके एक और साथी बटुकेश्वर दत्त का भी 1965 में अन्तिम संस्कार किया गया था जिन्होंने अंग्रेजी शासन के समय भगत सिंह के साथ मिलकर केन्द्रीय असेंबली में बम फेंका था।
दरअसल बटुकेश्वर दत्त की चाहत थी कि उनका अंतिम संस्कार वहां पर ही हो, जहां उनके ख़ास दोस्त भगत सिंह और उनके अन्य साथियों का अंतिम संस्कार हुआ है। इसीलिए ये गांव हमेशा से भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र बना हुआ है और इसीलिए अब यहां पर प्रेरणा स्थल का निर्माण किया गया है।
12 गांव देकर हासिल हुआ ‘हुसैनीवाला’
इतिहास को देखें तो हमें पता चलेगा कि, जब देश को आजादी मिली उसके बाद विभाजन के समय हुसैनीवाला गांव पाकिस्तान के हिस्से चला गया था। लेकिन भारत में इस बात से फैली बेचैनी और देश के वीर सपूतों के लिए लोगों के प्यार को देखते हुए भारत सरकार ने इसे वापस लाने का निर्णय लिया है। जिसके बाद पाकिस्तान को 12 बड़े गांव देकर 1960 मे हुसैनीवाला को भारत में वापस मिलाया गया था।