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पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (डिजाइन फोटो)

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पटना : बिहार में 9वीं बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार के बहुमत साबित के करने के पहले ही राजनीति में गर्माहट दिखाई देने लगी है। नए सत्ताधारी गठबंधन में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। इसीलिए नीतीश सरकार में साझेदार बने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी लगातार अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं। पहले वह दो मंत्री पद की मांग कर रहे थे, लेकिन अब वह पथ निर्माण विभाग को मांग कर नीतीश सरकार की मुश्किलें बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के रवैए एक ओर जहां नीतीश कुमार दुविधा में हैं तो वहीं सरकार के भविष्य को लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

 पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पिछले कई दिनों से आ रहे बयानों से ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश सरकार का फ्लोर टेस्ट इतना आसान नहीं होने वाला है, जितना सरकार बनते समय लग रहा था। एनडीए के अंदर प्रेशर पॉलिटिक्स खूब जोर पकड़ रही है। फिलहाल हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक नयी मांग रख कर सरकार की टेंशन बढ़ा दी है।

 सोमवार को मांझी ने सार्वजनिक मंच से कहा कि मंत्रालय बंटवारे को लेकर वह खुश नहीं हैं। मांझी ने साफ-साफ कहा कि हमें कोई बड़ा विभाग या मंत्रालय क्यों नहीं दिया जाता है। जब वे खुद मंत्री थे तो भी एससी-एसटी मंत्रालय दिया गया था और अब उनके बेटे को भी यही मंत्रालय फिर से दिया गया है।

 जीतन राम मांझी के तेवर से लगता है कि नीतीश कुमार का सरकार चलाना इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि एनडीए में शामिल कई ऐसे खेमे हैं, जो नीतीश कुमार से मनमुटाव रखते हैं। ऐसे में समय-समय पर लोगों के तेवर झेलने पड़ेंगे।

 आपको बता दें कि 28 जनवरी को बिहार में तख़्तापलट करते हुए भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से नीतीश कुमार ने नई सरकार बनाई थी। इस दौरान नीतीश कुमार ने नवीं बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते हुए भाजपा के कोटे से दो डिप्टी सीएम और पांच अन्य मंत्रियों को शपथ दिलाई थी। इस दौरान हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के कोटे से संतोष सुमन मंत्री बनाए गए थे, लेकिन जब मंत्रालय का बंटवारा हुआ तो नीतीश कुमार ने गृह विभाग अपने पास रखा और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को वित्त, वाणिज्य कर और नगर विकास समेत तमाम बड़े मंत्रालय दिए। वहीं दूसरे डिप्टी सीएम विजय सिंहा को कृषि, पथ निर्माण, राजस्व एवं भूमि सुधार जैसे तमाम मंत्रालय को दिया गया। जबकि हम के जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन को सूचना प्राविधिकी के साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग दिया गया है।

इससे पहले जब संतोष सुमन महागठबंधन सरकार के मंत्री थे तब भी उन्हें एससी एसीटी कल्याण का विभाग दिया गया था। इसके अलावा जब जीतन राम मांझी भी नीतीश की बिहार सरकार मंत्री थे तो इसी मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इन्हीं बातों को लेकर सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी मंच से नाराजगी जाहिर की है और कहा कि क्या हम पथ निर्माण विभाग नहीं संभाल सकते।

 जीतन राम मांझी की इस तरह के हरकत से बिहार में सियासी माहौल गर्माया हुआ है और इस बात की संभावना जताई जा रही है कि जीतन राम माझी महागठबंधन के संपर्क में है और इसीलिए वह इस तरह के बयान बार-बार दे रहे हैं।

 हालांकि रविवार की देर शाम संतोष सुमन के इस्तीफे की भी खबर आई थी, लेकिन बाद में इसे  खुद संतोष सुमन ने ट्वीट करके खारिज कर दिया। वह सोशल मीडिया पर जानकारी साझा कर बोले कि ऐसी कोई बात नहीं है और वह एनडीए के साथ बने हुए हैं।